यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
रोकतॊि के अन्म को स्तम्फो भें कामतऩालरका (अऩने आऩ को सयकाय के भाध्मभ से ऩ


ये रोकतॊि का ठेका यखने वारे )

ने अऩने आऩ द


यी फना री क्मोकक जजों के ववयोध भें उच्ितभ न्मामारम भें आमे भाभरों को भ


ख्म न्मामाधीश द्वाया

भनभानी ऩीठो को भाभरा सौंऩने का प्रश्न उठा इसकी तयप झ


काव का ईशाया कय टदमा ऩयन्त


कामतऩालरका ने अऩने

सॊवैधाननक कततव्म को बी एक तयप ताक भें यख कय उसे आतॊरयक भाभरे का िोरा ओढ़ा क


छ बी नहीॊ कहे के गाॉधी

जी के तीन फॊदय फन गमे |

रोकतॊि भें एक ओय स्तम्फ यहा ववधानमका का मह को कई नजय ही नहीॊ आमा इसकी ईिों को तो कबी का याजनैनतक

दरों के अरग-अरग नेता ननकर रे गमे ष्ट्जसको यफ ऩेड़ वारी सीर फना अऩनी ननजी ट्वीि व फमानों भें रगाते है व

कई तो सड़को, सयकायी कभतिारयमों व जनता का इससे सय पोड़ते नजय आते है |

इस स


प्रीभ सॊकि भें कई गणभान्म रोगो एवॊ जागरूक जनता के व्मक्तव्म आमे ऩयन्त


ष्ट्जनका सॊवैधाननक रूऩ से आना

िाटहए वो ककसी कोने भें भ


ॉह नछऩाके फैठ गमे | इस सॊकि को यारिऩनत के ऩास रे जाने का स


झाव बी आमा जो

नैनतक व न्मानमक तौय ऩय सही बी था |

सोि के दामये भें कैदी कक बाॊनत यारिऩनत सीधे तौय ऩय टिप्ऩणी नहीॊ कय सकते है ऩयन्त




तऩ


वत यारिऩनत अऩने

व्मक्तव्म के भाध्मभ से इस घिना क्रभ को यारिऩनत भहोदम कक तयप भोड़ के सॊवैधाननक बावना को उजागय कय

रोकतॊि को भजफ


त कय सकते थे | यारिऩनत ऩद से सेवाननव


त होकय मे रोग जनता के िैक्स के ऩैसो से ऩेंशन रेकय

आयाभ कक ष्ट्जॊदगी जी यहे है |

भीडडमा भें जफ क


छ भाह ऩ


वत जफ गरती वश (ष्ट्जसकी भाफ़ी भाॊगी जा ि


की है) एक व्मष्ट्क्त ने उनके व्मक्त्व को बफि

भें फाय-फाय काि टदमा तफ उन्होंने ही अऩने को ब


तऩ


वत यारिऩनत कहके फड़े सीने को तान के सॊवैधाननक-योऩ जभाते ह


मे

देखा था | मह 57 इॊि का सीना, आज जफ सॊवैधाननक सॊकि/वववाद आमा तो ककस बफर भें जाकय छ


ऩ गमा ऩता ही

नहीॊ िर यहा | जनता के ऩैसे ऐश-आयाभ के लरमे होते है जफ ष्ट्जम्भेदायी ननबाने व काभ कक फायी आमे तो द


भ दफाके

बागने रे लरमे होते है |

आज प्रश्न मह है कक यारिऩनत भहोदम कान


न कक ऩट्टी आखो के आगे फाॊध प्रोिोकॉर के नाभ ऩय भौनी फाफा फने यहेंगे

िाहे छोिे-भोिे असॊवैधाननक कामो नहीॊ ननजी खाने-ऩीने-लभरने-िरने के कामो के लरमे प्रोिोकॉर को तोड़ अऩने आऩ

को शेय टदखराते है |



ख्म न्मामाधीश स्वमॊ छ


ट्टी ऩय जाकय भाभरे को यारिऩनत भहोदम को नहीॊ सोऩेंगे मह िदॊ ग


जये घॊिो से स्ऩरि हो

गमा | उच्ितभ न्मामारम की आॊतरयक व्मवस्था से सॊवैधाननक गरयभा के अन


रूऩ यारिऩनत के ऩास जाने का भागत फॊद

है िाहे वो यारिऩनत से शऩथ रेने से ही श


रू क्मों ना होता हो |

कामतऩालरका क


छ नहीॊ कयेगी व फोरेगी, ववधानमका को अऩने होने के वज


द का ऩता नहीॊ, भीडडमा ख


द हो िौथे स्तम्फ

का भ


खौिा रगा नशे भें ध


त होकय खोई ह


ई है तो भाभरे का हर ऐसे ही छोड़ने से आ जामेगा कपय "जनता कक

अदारत" ने हाथ जोड़कय अऩने जीवन, ऩद, कभत की ऩ


ॊजी को दाॊव ऩय रगाके आने का भतरफ लसपत त


- त


भै-भै का

भनोयॊजन भाि है |

मह भाभरा कपल्भो के प्रेभ प्रसॊग का है मा लभर फाॉि के खाने का जो इन िाय जजों को भ


ख्म न्मामाधीश से लभरवाने

ऩय टिका है | जफ आयोऩ के भाभरे भें भ


ख्म न्मामाधीश स्वमॊ है तो पैसरा बी वो ही कयेंगे तो हो गमा न्माम की देवी
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