biranishri
(Biranishri)
#1
26 50 – 51
बायत के ऩास द
ु
फाया "ववश्वग
ु
रु" फनने
का प्रभाण सटहत प्रान ऩय इसके
ष्ट्जम्भेदायो भें फनाने की ईच्छा शष्ट्क्त
नही.....
हभाये ऩास वो लसद्ाॊत औय तयीका हैं ष्ट्जसे ऩ
ु
यी
द
ु
ननमा के देशों को िाटहए । मटद इसे सभम यहते
राग
ू
कय टदमा जामे तो हभ ननष्ट्श्ित रूऩ से
ववश्वग
ु
रु फन जामेंगे |
27 51 - 53
नई ववकलसत रोकताष्ट्न्िक व्मवस्था
का प्रारूऩ (यारिऩनत-बवन की भोहय के
साथ).....
इसके भाध्मभ से हभ व्मवस्था को अऩडिे कयने
की टदशा भें रोगों को सोिने के लरए जाग्रत कय
सकते हैं ।
28 54 - 57
स
ु
प्रीभ सॊकि के स
ु
प्रीभ हर के फावज
ू
द
स
ु
प्रीभ की ि
ु
प्ऩी!
इस व्मवस्था से मह सभझा जा सकता हैं कक
बायतीम रोकतन्ि के सबी स्तम्बों के ष्ट्जम्भेदाय
रोग भानते हैं कक व्मवस्था गडफडा गई हैं औय वे
सॊवैधाननक ऩद ऩय यहते ह
ु
ए बी ठीक नही ॊ कय
सकत ेहैं ।
29 57 - 59
रोकऩार फना अफ उच्ितभ न्मामारम
के गरे की हड्डी!
एक यारिऩनत होने के नाते सॊवैधाननक ऩदों का
साभॊजस्म कैसे कया जाता हैं वो आऩ इससे
आसानी से सभझ सकते हैं । मह वैऻाननक-प्रफॊधन
का छोिा सा नभ
ू
ना हैं ।
30 59 - 61
सॊववधान टदवस के टदन स
ु
प्रीभ कोित
के पैसरे भें जनता कहाॊ गई!
एक याज्म सयकाय के गठन को रेकय ननिे से
ऊप्ऩय स
ु
प्रीभ कोित तक सबी असॊवैधाननक रगे तो
यारिऩनत को भाभरा त
ु
यन्त अऩने हाथ भें रे रेना
िाटहए।
31 61 - 62
सॊसद के लरए अऩने आऩ को सजा
देने की अष्ट्नन ऩयीऺा!
मह सभझ े की कोई बी सॊस्था अऩने आऩ भें फड़ी
नहीॊ होती हैं वो सबी सॊवैधाननक सॊस्थाओॊ के साथ
सभान रूऩ से फयाफय हैं
32 62 - 65
सॊसद भें सयकायी खाद्म स
ु
यऺा से
भहरूभ साॊसद!
सॊसद की कैंिीन भें लभरने वारे सष्ट्धसडी के सस्ते
खाने ऩय सदैव जनता ने नतखी आऩष्ट्त्त दजत कयाई
हैं । इस े अफ नकायात्भक नहीॊ सकायात्भक रूऩ से
देखे |
33 65 - 67
बायत यत्न, लभसाइरभेन, प्रथभ
वैऻाननक बायतीम यारिऩनत डा. अधद
ु
र
करभ का जीवन ववऻान के दृष्ट्श्िकोण
से
ककसी व्मष्ट्क्त के जीवन को उसके व्मष्ट्क्तत्व,
साभाष्ट्जक जीवन, उसका यारि ऩय प्रबाव के रूऩ
भें ना देखकय ववऻान के लसद्ाॊतो के सहाये यारि
की नजयों से ऐसे देखा जाता हैं ।
34 67 - 69
यारिऩनत-बवन भें "यारिऩनत" ने नई
कपल्भ "ऩीक
ू
" देखी
शान-शौकत, िभक-धभक, ऩैसा-रूतफा, रयश्ते-नाते,
फाजायलरकॊ , ऩैसों की ऊऩय तक फढ़ती श्
ृ
खॊ रा ककस
तयह व्मवस्था भें बफखयाव कयती हैं वो सभझे |
35 69 - 70
यारिीम सम्फोधन भें यारिऩनत ने
"बववरम" को टदखामा ठेंगा!
जन्भटदवस, शादी की शारचगयह व भ
ृ
त्म
ु
टदवस की
तयह यारिीम सम्फोधन को एक ऩयम्ऩया फना दी
गई हैं । इस ऩयम्ऩया से यारि की जडों व नीभो
को ग
ु
णगान के अरावा भजफ
ू
त होने के लरए