biranishri
(Biranishri)
#1
46 102 - 106
प्रिाय-प्रसाय के शोयग
ु
र से गधे की
पोिो टदभाग भें जफयन ढ
ू
स जनता को
उल्र
ू
फनाने का "जन्भ-टदवस"
मह व्मष्ट्क्तवाद की सोि ि
ु
नाव के सभम
प्रधानभॊिी के भौत के नािक तक जामेगी की
अग्रीभ बववरमवाणी के साथ सभझे |
47 106 - 107
योना सफन ेयोमा, व्मवस्था को कोसा,
द
ु
सयो को इॊसाननमत व भानवता का
ऩाठ ऩढ़ामा ऩय सही व्मवस्था के नाभ
ऩय ऩतरी गरी से णखसक लरए
मह ववश्रेषण जभीनी धयातर की सच्िाई फताता
हैं । इन सफ की नैनतक व सॊवैधाननक ष्ट्जम्भेदायी
यारिऩनत की फनती हैं क्मोंकक वो ही देश के प्रथभ
नागरयक व सॊववधान के सॊयऺक हैं ।
48 107 - 111
मे तभािा लसस्िभ के गार ऩय ऩड़ा है
व ग
ूॉ
ज उसके अदॊ य से ि
ू
िे मा बफखये
होने के कायण आई है
जफ कभीमा उजागय होने ऩय बी भौन यहा जामे
मा उसे ढका जामे तो मह बफभायी / सभस्मा को
औय फड़ी से फडी फनाता यहता हैं ।
49 111 - 113
बायतीम जनता ने स्वमॊ फना टदमा
................ अच्छे टदन राने का भाग त
कवय ऩेज के ऩीछे जो शऩथ दी हैं उसके उद्भव का
आधाय क्मा हैं वो सभझ सकते हैं ।
50 113 - 121
प्रधानभॊिी रयसि तफ़ेरोलशऩ (PMRF)
मोजना: अक्र से फड़ी बैंस होने का
सयकायी ववऻाऩन!
देश भें आमे टदन नई-नई मोजनाओॊ की श
ु
रूआत
होती यहती हैं इनका वास्तववकता से ककतना
सभफन्ध होता हैं वो एक उदाहयण से सभझे |
51 121 - 123
व्माऩभ की बव्मता को देख ववशेषऻ
फोरे
द
ु
ननमा भें भॊदी आएगी बायत भें नहीॊ
बायतीम लशऺा व्मवस्था की सच्िाई को सभझे
ष्ट्जसके प्रभ
ु
ख यारिऩनत भहोदम होते हैं ।
52 123 - 126
अयफों-खयफों की प्रनतवष तकभाई को
ठोकय भायती बायत-सयकाय
एक आचधकारयक प्रस्ताव जो बायत सयकाय को
गायन्िेड प्रनतवषत कयोड़ो अयफों देना िाहता हैं कपय
बी उसे िेफर दय िेफर घ
ु
भामा जाता हैं ।
53 126 - 128
ऩहरी फाय बायतीम कैराश सत्माथी
को भीरा नोफेर शाॊनत ऩ
ु
रुस्काय
ककसी बायतीम व्मष्ट्क्त को अन्तयातरिीम सम्भान
लभरन े ऩय उसका याजनैनतक रूऩ से इस्तेभार व
फधाई से क्रैडडि दोहन कैसे होता हैं वो सभझ े|
54 128 - 129
ऊॉिी द
ु
कान पीके ऩकवान ............
फातें द
ु
ननमा की सोि व्मष्ट्क्तवाद की
अन्तयातरिीम स्तय ऩय नालभत सॊस्थानों के अरग
ही खेर को सभझें |
55 129 - 131
जहाॊ डार-डार ऩय क
ु
सी पसामे उल्र
ू
कयते है फसेया, वो बायत देश है भेया!
साभाष्ट्जक व शैऺणणक सॊस्थाओॊ भें िर यही
घिनाएॊ बी सीधे तौय ऩय यारिऩनत के अन्तगतत
आती हैं इसलरए अरग-अरग स्तय की भानलसकता
वारे रोगों के बफि पैंसरा रेना जरूयी होता हैं ।
56 131 - 133
अन्ना आॊदोरन के दो भहत्वऩ
ू
णत िेहये
ऩहरे कटहमो की बाॊनत व कई आभ
आदभी ऩािी के िेहये द
ू
सये दरों भें
शालभर ह
ु
ए|
आन्दोरन के फाद एक भानलसक जाग्रनत का
ववकास होता हैं ऩयन्त
ु
आगे का भागत स्ऩरि नहीॊ
होने के कायण सफक
ु
छ ऩ
ु
यानी सीलभत सोि भें
सभा जाता हैं
57 133 - 135
ककसान आॊदोरन को ऐनतहालसक फनाने
को त
ु
री केंर सयकाय व उसके भॊिीगण
...... ऩयन्त
ु
सॊकेतो को नहीॊ सभझ ऩा
यहे ककसान
रोकतॊि भें सयकाय आभ रोगो की होती है व
साॊसद औय ववधामक उनके नौकय होते है ऩयन्त
ु
मे
नौकय अऩने भालरकों के साथ कैसा व्मव्हाय कयते
है वो आऩ सभझ सकते है।
58 135 - 138
बायत के हाथ क्मा आएगा...... इस
नई आतॊकवाद के णखराप रड़ाई भें!
आतॊकवाद के णखराप रडाई भें हभाया फेस ककतना
व क्मों कभजोय हैं वो इससे सभझ.....े