धार म देशपूजा
दोबारा ब े हम बन जाए.....बचपन क है कु छ बात नराली,ब- से ब े हम बन जाए,अपन के दल म बस जाए.च - से चहल-पहल मचाए ,खु शय के हम दीप जलाए.प - से पढ़ाई का नाम जब आए,न - से नौटंक हम बन जाए.छलनी मु ान नह हमारी, न ल मु ान होती है.मुखड़ा कोई ना पहना होता ,चेहरा बचपन का असली है.
अपना पराया जान ना पाते,सब पर अपनापन हम लुटाते.जात पात मन म ना आती ,