यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
वल्रब बाई ऩिेर व डॉ बीभयाभ अम्फेडकय के वततभान प्रधानभॊिी - ऩद ऩय नौकयी कयने वारे व्मष्ट्क्त के सभत


ल्म होन े

का उद्घोष तक कय डारा है |

सच्िाई की फायीकी को ववऻान के तकत के आधाय ऩय सभझे तो अफ देश की जनता की सोि को व्मष्ट्क्तवाद से ननिे

चगयाने के लरए आगे वततभान भें प्रधानभॊिी-ऩद ऩय कामतत व्मष्ट्क्त के "भौत का खेर" खेरा जा सकता है ष्ट्जसभे उन ऩय

कोई हभरे की फ


ननमाद यिी जामेगी |

इस फड़े भीडडमा शो फनाने के तहत जो आकड़े आमेगे व अॊदरूनी सवे होंगे उसके आधाय ऩय ही ऩैसा रेकय ि


नाव भैनेज

कयने वारे भहायथी व भ


ॊहफोरे आज के िाणक्म ऩॊडडत सभम से ऩहरे ि


नाव तम कयने की टदशा व दशा को तम कयेंगे

| अबी रोकसबा ि


नाव के फह


त सभम है ऩयन्त


आऩ इसे सि भाने मा ना भाने ऩयन्त


व्मष्ट्क्तवादी सोि से ननिे चगयन े

ऩय इसी तयह के घटिमा कायनाभे कये जाते है |

अबी उदेश्म ईन्सान की भौत के फाद बगवान फता धन वस


रने का नहीॊ, ईन्सान को ष्ट्जन्दा यख उसके नाभ ऩय वोि



िने का है |

सत्माऩन खफय... - - भॊगरवाय को ऩ



णे ऩ


लरस ने

जनवयी भें बीभा-कोयगाॊव दॊगों के भाभरे भें वयवय याव, स


धा बायद्वाज, गौतभ नवरखा, वेयनोन गोन्जाष्ट्ल्वस औय

अरुण ऩयेया को चगयफ्ताय ककमा था। ज


न भें बी इसी तयह ऩाॊि रोगों को बीभा-कोयेगाॊव से ज


ड़े भाभरे भें चगयफ्ताय

ककमा था। ऩ


लरस के भ


ताबफक, इन रोगों के ऩास से एक रेिय फयाभद ह


आ, ष्ट्जसभें प्रधानभॊिी की हत्मा की साष्ट्जश की

फात साभने आई।

खफय... - - बीभा कोयेगाॊव टहॊसा औय अफतन नक्सर भाभरे भें

आयोवऩमों के वकीरों ने फडा ख


रासा ककमा हैं उनका दाॊवा हैं कक आयोवऩमों भें से एक योना ववल्सन के रैऩिाऩ भें

फयाफद साष्ट्जश के भेर ख


द उन्होंने नहीॊ लरखे थे फष्ट्ल्क प्राॊि कयवामे गमे थे । वकीर लभटहय देसाई के भ


ताबफक, ऩ


णे

कोित के आदेश ऩय लभरे हाडत डडस्क के क्रान को अभेरयका के असतनार डडजीिर पौयेंलसक रेफ बेजा गमा था । रैफ की

रयऩोित के अन


साय सबी 10 के 10 ऩि भारवेमय के जरयमे प्राॊि ककमे गमे थे ।

खफय... - -

व्मष्ट्क्तवाद के तरवे िािता........ देश का सफसे फड़ा अखफाय


खफय:- सॊववधान का गरा-घोि, जनता की सयकाय का अऩहयण कय एक व्मष्ट्क्त की सयकाय फताके सवे कयवाता

एक दैननक अखफाय

नाभ के आगे यारिीम-अखफाय का तभगा रगा, देश के सफसे फड़ े अखफाय के गवत से छाती को 56 इॊि प


रा के

िरने वारों को मह बी ऩता नहीॊ होवे की देश भें सयकाय ककसकी है.... वाकई मह कोई गरती नहीॊ ऩदे के ऩीछे जरूय

कोई णखिड़ी ऩक यही है वो बी ऩ


यी कारी दार की | मह बी सॊबव है कक कोई जफयदस्ती मह णखिड़ी ऩकवा यहा है |

सफसे फड़े सव


के नाभ से पाभत छाऩे गमे है उसभे लसपत "भोदी-सयकाय" का ष्ट्जक्र है | प्रश्न मह है कक सॊववधान के तहत

देश भें आभ जनता की सयकाय फनती है, प्रधानभॊिी स्वमॊ को जनता का प्रधान सेवक कहते है तो मह अखफाय क्मों

अऩने सफसे फड़ े नेिवकत के भाध्मभ से झ


ठ का ऩ


लरॊदा फना "भोदी-सयकाय" का हव्वा रोगो के भ


ॉह भें ठ


स टदभाग को

ग्रवषत कय आने वारे अगरे आभ ि


नाव से ऩहरे रोगो का ब्रेनवास कयने भें रगा है |
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