biranishri
(Biranishri)
#1
को काभमाफी का भागत फता उन्हें बी इस दरदर भें खीॊिता यहता हैं । जफ मह रोग भेंढक की बाॊनत इस दरदर से
फाहय ननकरते हैं तो वे द
ू
सयी द
ु
ननमा सभझ वाऩस उस दरदर भें क
ू
द जाते हैं ।
साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -
मे तभाचा ससस्िभ के गार ऩय ऩड़ा है व ग
ॉज उसके अॊदय से ि
िे मा बफखये होने के कायण
आई है
ऽफय:- टहॊदी कफ़ल्भ ननभातता-ननदेशक द्वाया यानी ऩद्मावती ऩय आधारयत कफ़ल्भ की श
ू
टिॊग के दौयान ववयोध
प्रदशतन व उनके गार ऩय तभािा
साभानमा रूऩ से अजीफ, ऽफय की नजय से ब्रेककॊग, धभ त की नजय से दृढ़ आस्था की कियता, फाजायवाद की नजय स े
अऩना-अऩना िेहया िभकाने की ज
ु
गत, याजनैनतक दृष्ट्रि से आग भें घी डारकय औय फाॉिकय वोि ऩाने का याभफाण
उऩाम, ऩैसो की नजय से छऩड़ ि
ू
ि कय फयसने की खनखनाह, फॉरीव
ु
ड के लरए अऩनी ऺेि-ववशेष की एकता टदखाने का
भौका, कान
ू
न के नजरयमे से कामतवाही की तायीख ऩय तायीख देकय थऩड की झनझनाहि को कभ कयना व शाष्ट्न्त की
आहत भें कोई न कोई कभी फताकय भाभरे को स्वाहा कयना, ऩ
ु
लरस के नजरयमे से कपल्भी स्िायों के नाभ से जफयदस्ती
िभकने वारों को फ्री भें फाय-फाय फ
ु
राने का स्वणणतभ अवसय रगता हो ऩयन्त
ु
ववऻान की नजय से ऩड़ने वारा तभािा
ककसी व्मष्ट्क्त ववशेष ऩय नहीॊ लसस्िभ के गार ऩय ऩड़ा है |
व्मष्ट्क्तवाद के आधाय को छोड़ साभ
ु
टहक व्मवस्था के नजरयमे से देणखमे जो प्रत्मेक नागरयक के लरए सभान है | इसके
क
ु
छ अथत इस तयह बी ननकर यहे है.....
# सफसे ऩहरे जाटहय होता है कक रोगो का कपल्भों के सयकयी सेंसेय फोडत से ववश्वास उठ गमा है उन्हे रगता है की वो
अन्धे-फेहये की तयह इसे लसनेभाघयों भें टदखाने की अन
ु
भनत दे देगा |
# बायत भें ऐसी कोई व्मवस्था नही ॊहै जहा एक जगह इनतहास की फातों का सॊकरन होता हो व वततभान भें जीवन जी
यहे रोगो की काफलरमत व अन
ु
बवों का सवतभान्म ननरकषत ननकर सके जो आन ेवारी ऩीढ़ी के लरए भाग तटदखा सके |
# ईनतहास के आधाय ऩय फनन े वारे, कामतक्रभ, कपल्भे व सीरयमर क्मा स्वत् फनना श
ु
रु हो जाते है उनके लरए क्मा
ऩहरे अन
ु
भनत की कोई कान
ू
नी प्रकक्रमा नहीॊ है क्मा?
# मह तो िीवी ष्ट्जसे छोिा ऩदात कहते है उसके भाध्मभ से तो व्मवस्था के लरए फड़ा ही खतया टदखता है जो रारि
वश क
ु
छ बी टदखा सकता है सजा तो फाद भें अदारती रड़ाई के फाद लभरेगी रेककन तफ तक राखों व कयोड़ों रोग
उसका द
ु
रऩरयणाभ ब
ु
गत ि
ु
के होंगे ....... व कई ष्ट्जॊदचगमाॊ तफाह हो सकती है....
# मटद सेंसय फोडत ऩहरे ऩ
ू
यी कफ़ल्भ को जाॉि अन
ु
भनत नहीॊ देता है व ऩ
ु
यी कफ़ल्भ फनने के फाद उसे देखकय कि कयने,
फदरने मा गरत को हिाने का आदेश देता है | मटद ऩ
ु
यी कफ़ल्भ को ही अवैध कयाय देना ऩड़े तो उसे गैयकान
ू
नी तरयके
से रोगो भें वामयर कयने व द
ू
सये देशों के भाध्मभ से इॊियनेि ऩय प्रसारयत होने से योकने की कैसी व्मवस्था है .......
मटद मह अध
ू
यी है तो देश व सववधान का भज्जाक बववरम भें फनना तम है....
# जफ भाभरा पस जाता है तफ ही काभ कयने वारे कराकायों की भेहनत फफातद होने का योना क्मो योमा जाता है |