यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
इसकी जवाफदेही ककसकी होगी मह ननधातरयत क्मो नहीॊ है | एक कराकाय कहा जाकय िेक कये की कफ़ल्भ ननभातता-

ननदेशक जो कय यहा है, फोर यहा है, ऩैसों से कयवा यहा है वो सही है?

# बायतीम रोकतॊि भें ऐसी कोई व्मवस्था नहीॊ है जहा देश भें इस तयह के प्रसायण के ऩहरे ही धालभतक व साभाष्ट्जक

तौय ऩय उसकी स्वक


नत रग सके | ष्ट्जससे लसफ़त अऩवाद स्वरूऩ एक मा दो ह़ी़त से ऩ


ये सभाज, सॊस्क


नत को बिकन े

व ारत टदशा भें जाने से फिामा जा सके |

# बायतीम सॊववधान क्मा उसके नागरयक को भयन ेके फाद उसकी ननजी ष्ट्जॊदगी के साथ बी णखरवाड़ कयने की ऩ


यी छ


ि

देता है?

# व्मष्ट्क्त ववशेष के साथ क्मा लसस्िभ बी खत्भ हो जाता है? ष्ट्जससे उसका नाभ व ननजी ष्ट्जॊदगी को कैसे बी तोड़-

भयोड़ मा क


छ बी उरिा-सीधा जोड़कय अऩने स्वाथत के लरए प्रमोग कय सके | इसभें याजनैनतक साभ-नीनत के तहत

ईंसान को बगवान फना देना बी आता है |

# ककसी ईंसान के भय जाने के फाद उसकी ष्ट्जॊदगी का कॉऩीयाइि स्वत् उसके धभत ववशेष, साभाष्ट्जक व याजनैनतक

सॊगठनों का हो जाता है | ऩारयवारयक रोग उसकी िर-अिर सम्ऩनत के तो कान


न ह़दाय है ऩयन्त


देश, सभाज व



ल्म रेकय ककमे गमे कामत को बी इस्तेभार कयने का ठेका बी उन्हें स्वत् िाॊसपय हो जाता है क्मा?

# बायतीम सॊववधान भें साभाष्ट्जक व धालभतक सॊगठन फनाने का कान


नी प्रावधान तो है ऩय क्मा उनकों आगे व्मवस्था से

जोड़ने की कोई प्रकक्रमा नहीॊ है क्मा? ष्ट्जससे वो अऩनी फात यख सके | मटद है तो उसभें रोगो का ववश्वास क्मो खत्भ

हो गमा औय वे आऩयाचधक भागत का यास्ता ि


नना क्मो ऩसॊद कयते है?

# एक थप्ऩड़ से मानन साभाष्ट्जक व कान


नी प्रकक्रमा से अरग जाने ऩय इतना प्रसायण होता है तो क्मा मह सॊकेत नही ॊ

की हभायी व्मवस्था स्वमॊ की कभी फता ऐसे अशोबनीम कदभो को उठने के लरए रोगो को उकसा यही है व आऩयाचधक

भागत ऩय धकेर यही है |

हभ श


रू से लरखते आ यहे है कक इस रोकताॊबिक व्मवस्था को अऩडेि कयना ऩड़ेगा व इसका एक प्रारूऩ हभ यारिऩनत

भहोदम के ऩास हभाये आववरकाय असरी एडी-लसरयॊज की पाइर के साथ बेज ि


के है जो इस ऩ



स्तक के कवय ऩेज ऩय


भौज



द हैं ।


इस तयह के धालभतक, ईनतहालसक भाभरों की ऩ


नयाव


नत न हो व कोई कान


नी औय साभाष्ट्जक भमातदा न तोड़े उसके लरए

12 - 13 - 2016 के वैऻाननक-ववश्रेषण "सभम" की सभझ बफना ववकास व आदशत सभाज असॊबव भें हभने लरखा था.....

"वततभान की रोकताॊबिक व्मवस्था बी सभम के ग्राप भें वषों ऩ


यानी हो गई है व इसभें कई फ


याईमाॉ घय फना ि


की है |

इसलरए आदशत ववकास हेत


इसे बी 50 से 100 वषत आगे का सोिकय ववकलसत कयना ऩड़ेगा व धभत आधारयत व्मवस्था

के कई जरूयी लसद्ाॊतों को एक कान


नी, वैिारयक, सॊवैधाननक अचधकाय देकय इसके साथ कड़ी रूऩ भें जोड़ना ऩड़ेगा |"

सैद्ाष्ट्न्तक रूऩ से मह प्रनतत हो यहा है कक देश भें अफ ऩढ़ें लरखे व सभझदाय रोग सॊवैधाननक ऩदो ऩय नही ॊफैठते जो

ऩहरे ही सच्िाई को सभझ देश, सभाज औय रोगो को सही टदशा भें रे जा सके | मे तो अनऩढ़, गवायो की तयह ठोकय

खाकय सीखते है | मह ठोकय हजायों की जान बी रे रे तफ बी उन्हें ककसी का बी भरार नहीॊ होता |
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