biranishri
(Biranishri)
#1
म
ू
ननवलसतिी को ऩह
ु
ॊिाने का रक्ष्म फड़ा कयना ऩड़ेगा वह िॉऩ 500 की जगह िॉऩ 5000 हो जामेगा |
पेरोलशऩ के आधाय ऩय अन
ु
सन्धान कयने वारे छािों की भदद कयना अच्छी फात है ऩयन्त
ु
उनकी झोरी भें एक रुऩमा
डार सौ का नोि रे रेना फह
ु
त ही गरत फात है |
हभ ककसी व्मष्ट्क्त ववशेष मा नकायात्भकता के ऩऺधय नही ॊहै | हभ उन्ही आधाय को दोहया यहे है जो इस स्कीभ फनन े
के भहीनो ऩहरे कह ि
ु
के है |
मटद वऩछ्रे हजायो से अचधक वषों से आज तक के वैऻाननकों की ष्ट्जॊदगी के ऎसे हारातों को सभझना िाहते है तो
हभाये वैऻाननक ववश्रेषण "सोि के भामाझार भें पॉसी वैऻाननक ष्ट्जॊदगी व उसके आववरकाय' के तीनों बाग ख
ु
रे टदभाग
से ऩढ़े ....... आऩको रयसित मा अन
ु
सन्धान कयने वारे रोगो व छािों की ऩयेशाननमों का ऩ
ू
या वववयण लभर जामेगा व
इस तयह की मोजना फनाने का धर
ू
- वप्रिॊ ...
...... ... - -
सोच के भामाझार भें पॉसी वैऻाननक ब्द्जॊदगी व उसके आववष्काय (Part-I)
सटदमों से वैऻाननकों के आववरकाय कौत
ु
हर बये यहे है जो ववऻान के मथाथ त व उसके जीवन भें भहत्व को सभझात ेहै
औय सभाज को ववकास की एक ऩीढ़ी आगे रे जाते है | इससे बी ज्मादा आश्िमत वैऻाननकों की ष्ट्जॊदगी व उनके सॊघष त
के फाये भें जानकाय होता है जो शाॊत टदभाग भें आश्िमत की झनझनाहि ऩैदा कय देता है |
वैऻाननकों की ऐसी ष्ट्जॊदगी जो वे अऩने उद्देश्म को ऩ
ू
या कयन े के लरए व्मनतत कयते है वो वास्तव भें साभाष्ट्जक,
प्रशासननक व सयकायी सोि का प्रनतबफम्फ होता है जो उन्हे ऐसा ष्ट्जने को भजफ
ू
य कय देता है अन्मथा कौनसा व्मष्ट्क्त
उच्ि स्तय की ववश्रेषण एवॊ ताककतक ऺभता यखता ह
ु
आ वववशता एवॊ सॊघषत ऩ
ू
णत जीवन व्मनतत कयना ऩसॊद कयेगा |
वैऻाननकों का भ
ु
ख्म कामत नए आववरकायों के रूऩ भें साभने आता है, जो तकननको एवॊ लसद्ाॊतो के आधाय ऩय िीका
होता है औय सि के मथाथत रुऩी अरौककक प्रकाश से साभाष्ट्जक फ
ु
याइमों एवॊ क
ु
रुनतमो को िीय डारता है |
साभान्म रूऩ से कोई बी नमा आववरकाय कयने से ऩहरे उसके ब
ू
तकार को जानना जरूयी होता है कक उसके ऩहरे क्मा-
क्मा हो ि
ु
का है | इसके ऩश्मात वततभान भें िर यहे उत्ऩाद व उसकी तकनीक व तरयके को सभझना ऩड़ता है | इसस े
आगे स्वाथत, रारि, रोब व अऩनेऩन के भामाजार को अरग कयते ह
ु
मे असरी कलभमों को ढ
ू
ॊढना ऩड़ता है, कपय
वततभान सभम भें आगे सोिकय तकनीकों एवॊ लसद्ाॊतो के ओजायो से कलभमों को द
ू
य कयना ऩड़ता है, तफ जाकय
ऩरयणाभ के रूऩ भें नमा आववरकाय साभने आता है |
साभान्म ईंसान ब
ू
तकार के टहस्से को आसानी से सभझ जाता है ऩयन्त
ु
वततभान भें िर यहे उत्ऩादों को ऩरयभ्रभण द
ू
यी
की एक ननष्ट्श्ित सीभा भें फन्धे होने के साथ-साथ फाज़ाय की सीभा व उऩरधधता के कायण ऩ
ु
रय तयह नहीॊ सभझ ऩाता
तो वैऻाननकों द्वाया बववरम कीॊ फात व उसके उत्ऩाद को सभझना फह
ु
त भ
ु
ष्ट्श्कर होता है औय उसकी अचधकाॊश फातें
लसय के उप्ऩय स ेग
ु
जयने रगती है इसलरए उल्िा वैऻाननकों को आधा ऩागर कहकय रोग वततभान भें जीने रग जाते है