यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
|

जीवन के स़पय भें सभम व्मतीत होता यहता है औय व बववषम् से वततभान औय कपय ब


तकार भें फदर जाता है | जफ



तकार फनता है तफ जाकय रोगो को सभझ भें आता है कक परा वैऻाननक ने क्मा कहा औय क्मा ककमा तफ उसके

प्रनत सॊवेदना प्रकि कयता है, उसे आदशत व योर भॉडर फनता है औय अऩनी सॊतानों को लशऺा के रूऩ भें उसके जीवन

के फाय भें ऩढ़ाता है |

इस ऩ


ये िक्र भें साभाष्ट्जक व प्रशासननक सोि के भामाजार भें ष्ट्जतना सभम व्मतीत होता है उतने भें कई सॊघषो का

साभना कयत े ह


मे वैऻाननक कीॊ ष्ट्जॊदगी ही ऩ


यी हो जाती है | मटद व्माऩक ववश्रेषण ककमा जामे तो मह व्मनतत सभम

एक वैऻाननक से ज्मादा रोगो के लरए घातक साबफत होता है जो सभाज के ववकास के ऩटहमे को अवरुद् औय धीभा कय

देता है | मटद आववरकाय जीवन यऺक दवाइमों एवॊ िीकों से ज


ड़ा हो तो कई ईंशानी भौतों का कार साबफत होता है |

प्रत्मेक आववरकाय के वऩछे एक कहानी मा घिना छ


ऩी होती है ऩयन्त


सबी उप्ऩय फतामे साभाष्ट्जक भामाझार के िैक भें

पीि हो जाती है मा इसे स्ऩरि बाषा भें अलबव्मक्त कये तो सबी आववरकायों कीॊ घिनाओॊ से इस साभाष्ट्जक िैक की ॊ



ष्ट्रि होती है व प्रत्मेक नई घिना इसे फरवती फनाती जाती है |

सोि के इस स्तय ऩय आने के फाद अचधकाॊश रोग कपय भानलसकता के बॉवय भें पॉस जाते है जो फाजायवाद एवॊ धन

भोह के ऩाश भें जकड़े यहत ेहै व भ


र लसद्ाॊत औय तकनीक को ब


रकय व्मनतगत जीवन भें उरझ यहते है | जो ईशान

नहीॊ उरझता व लशऺा के उच्ि स्तय के भाग तसे ग


जयता ह


आ सभाज को नई उच्िाइमों तक रे जाता है |

मह जीवन की रूऩयेखा 19 वीॊ सदी के सफसे ज्मादा व 20 वीॊ सदी के कभ वैऻाननकों के लरए उऩम


क्त रगती है ऩयन्त


अबी हभ 20 वीॊ सदी भे जी यहे है इसलरए सभम के साथ तरयके फदर गमे ऩयन्त


साभाष्ट्जक सोि नहीॊ फदरी | आऩ

नए तयीकों को जानेगे तो सभझ जामेगे की बायत को डाॉ यभन के रूऩ भें प्रथभ नोफेर ऩ


रुस्काय लभरने के फाद द


सये के

लरए अकार क्म


ऩड़ा व आगे बी इसकी सॊबावना श


न्म क्म


है? इसके अरावा जो वैऻाननक देश छोड़कय ववदेश िरा

जाता है वो कैसे सपर हो जाता है व ऩ


यी भानवजानत को गनतभान कय देता है |

...... ... - -

सोच के भामाझार भें पॉसी वैऻाननक ब्द्जॊदगी व उसके आववष्काय (Part-II)


सटदमों से द


ननमा भें नमा कयके टदखाने का सभाज भे क्रेडडि रेने की घ


णणत भानलसकता िरी आ यही है | इस

भानलसकता का सफसे ज्मादा लशकाय वैऻाननक वग तहोता आमा है | ऐसी भानलसकता के दौय भें ककसी बी आववरकाय को

भान्मता फड़ी भ


ष्ट्श्कर से लभरती है, मटद लभरती है तो कपय आगे जनता तक ऩह


ॉिाने के लरए उससे कई ग


ना फड़ी

सभस्मा भ


ॉह पाडे खड़ी यहतीॊ है |

आववरकाय की सयकायी व कान


नी भान्मता का आधाय लसफ़त ऩेिेंि रेना होता है जफकक साभाष्ट्जक व प्रशासननक सोि

ऩेिेंि को व्मवसाटहक कदभ भानती है | महा फाज़ाय भें ऩेिेंि की कीभत राखों कयोड़ों से आगे ननकरकय अयफों भें ऩह


ॉि

ि


की है | मह उन आववरकायों के लरए राग


होती है ष्ट्जनका फड़ ेस्तय ऩय व्मवसाटहक उत्ऩादन हो यहा है |

साभाष्ट्जक व प्रशासननक सोि तो लसफ़त ऩेिेंि की कीभत भें उरझ जाती है व ऩरयष्ट्स्थनत का आकरन फह


त ही कभ

कयती है | इस कायण आववरकाय की भान्मता के फाद आववरकायक के लरए अनचगनत भ


ष्ट्श्करें फढ़ जाती है क्म

ूॉ

कक
Free download pdf