biranishri
(Biranishri)
#1
फिा लरमा ऩहरे ही श्ी फयाक ओफाभा को यारिऩनत फनते ही नोफेर शाॊनत ऩ
ु
रुस्काय देकय जो वववाद ह
ु
वा वो आज तक
खत्भ नहीॊ हो ऩामा है | बायत - ऩाककस्तान का ष्ट्जक्र कयके हभायी ऩािी की सयकाय कहने वारो के प
ू
रते सीने को फीि
भें ही योक लरमा अन्मथा वो डामनाभाइि की तयह पि जाते |
शाॊनत ऩ
ु
रुस्काय की छामा भें बायत ऩाककस्तान की सीभा ऩय िर यहे गोरे ज्मादा गोरी कभ के भाहोर भें शाॊनत आ गई
ऩयन्त
ु
महाॉ के रोगो, नेताओ व भीडडमा ने ऽ
ु
शी के भाये इतना शोयग
ु
र भिा डारा की ऩाककस्तान को शाॊनत फनामे
यखने के लरए रोगो के घयो ऩय गोरे फारूद डारना द
ु
फाया श
ु
रू कयना ऩड़ा आणखय काय नोफेर शाॊनत ऩ
ु
रुस्काय से शाॊनत
फनामे यखने का नमा ठेका जो भीरा है | ष्ट्जसके तहत द
ु
ननमा मह नहीॊ कहे की ऩढाई के लरए ऩाककस्तान भें सॊगष त
कयने वारे फच्िो के लसय भें गोरी भाय दी जाती है |
आज द
ू
सया कि
ु
सत्म मह है कक ऩािी वारी सयकाय आय.िी.आई. कामतकतातओ के डय से नोफेर शाॊनत ऩ
ु
रुस्काय लभरन े
कक ऽ
ु
शी फड़ी डय नछऩकय फना यही है क्म
ु
की कर मह सि साभने रेकय न यख दे कक अवाडत के लरए आवेदन तो सार
बय ऩहरे टदमा था औय उसकी लसपारयश भें इनके ऩािी के लसऩेसराय का ि
ु
नाव चिन्ह वारे लसक्के का ऩि नहीॊ था |
आऩको यनत बय बी चितॊ ा कयने की कोई फात नहीॊ इनके ऩास ऐसे ऐसे ध
ु
यॊदय व भहायथी ववदेश भें ऩढ़े रोग है जो
जोड़ तोड़ व रे देने की भानक उऩाचध बायत से रे यखी है वे ऐसे-तैसे, कैसे-वैसे, जैसे-तैसे, तोड़-भोड़कय इसे बी अऩन े
अच्छे टदन के झॊडे तरे रेकय आ जामेगे |
हभाये ववश्वशनीम स
ू
िों ने फतामा की उनकी गरी भें एक भहान याजनेता यहत ेहै ष्ट्जन्होंने एक एक कयके कयीफन सबी
ऩाटितमो भें जाकय सबी को दॊडवत प्रणाभ से सवत कोटि का ऻान प्राप्त कया है | इसलरए उनकी याम आभ सहभनत वारी
हो गई है | इसलरए उनके विन के अन
ु
साय वही ऐनतहावषक कदभ उठाएॊगे जो ऩहरे बी ऩािी के भहान रोग रेते यहे है
जैसे कैराश सत्माथी के नाभ ऩय एक यारिीम टदवस घोवषत कय देंगे | ऩहरे बी भहान वैऻाननक डॉ यभन को नोफेर
ऩ
ु
रुस्काय भीरा तो ववऻानॊ टदवस फनाने की श
ु
रुवात ह
ु
ई िाहे उसके फाद बायत को ववऻान के ऺेि भें नोफेर लभरने के
रारे ऩय गए हो |
द
ू
सया सफसे फड़ा कदभ बायत यत्न दे देंगे औय छोिे फड़े अवाड तकी चगनती तो आऩ कय ही नहीॊ ऩामेगे ऩैसे तो नोफेर
के साथ लभर गए उसे अफ क्मा देना हभ तो उस ऩय िैक्स भाफ़ कय देंगे | हभाये ननणातमक रोग बरे ही अऩने आऩ
को उस ऩद के लरए असभथत, अमोनम, दऺहीन, कभतहीन रगते हो ष्ट्जन्हे अऩने देश की प्रनतबा का ऻान द
ू
सये देश के
रोगो द्वाया अवाडत देने के फाद ऩता िरता है | सफस ेफड़ा भ
ु
दो को हसी आजामे ऐसा यारिीम भजाक जफ फनता है तफ
125 कयोड़ की आफादी वारे देश की जनता के गार ऩय यारिीम बष्ट्क्त की िाफ
ु
क से वाय होता है की हभें ऐसा कोई
मोनम देशवासी नहीॊ भीरा ष्ट्जसे इस वषत बायत यत्न टदमा जा सके |
इससे बी फड़ी सभस्मा मह है कक मटद क
ु
छ अवाडत नहीॊ दे तो कर हभ कैरास सत्माथी को अऩनी ऩािी भें शालभर कैस े
कयेंगे | आॊधी त
ू
फ़ान आमे मा उथर ऩ
ु
थर भि जामे हभ अऩनी ऩािी का न
ु
क्सान हय कीभत ऩय नहीॊ होने देंगे िाहे
बायत यत्न देने के फाद बायत कक इज्जत का चिय हयण क्मों न रगे | आजकर सववधान के अन
ु
साय बायत के
भालरकाना ह़ वारी आभ जनता कक फह
ु
फेटिमो का फरात्काय होता यहता है उसे बी ष्ट्जम्भेदाय रोग फदातस्त कय जाते
है तो मह लसपत इज्जत के चिय हयण कक फात ही तो है | हभाये महाॉ रोकतॊि है कोई वषो ऩ
ु
याना याजाओ का शासन
नहीॊ जो अऩनी फह
ु
फेटिमो कक इज्जत ऩय आि आमे तो सॊग्राभ श
ु
रू कय दे | आज कर अयफो रूऩमे खित कयके योज
कपल्भे फन यही है इसलरए याभामण, भहाबायत जैसे औय दस्तानो कक जरुयत आऩ को रगती है क्मा?