यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
फड़ी फातो, कथनो, गदमो, कववताओ से एक जगह बफठाकय यखने वारो को देखा, फड़े फड़ े ऩदो के क्रीभ (ऩ


रुष वारी व

औयत वारी) वारे िेहये देखे............. ऩरयणाभ क्मा ननकरा हभ सफका भालरक एक है औय लसपत याजनीनत ही अभ



सागय है ष्ट्जसके अरावा व उससे फड़ा कोई नहीॊ इसलरए सबी प्रोपेशनर रोगो के ऩास उसी भें आकय ड


फकी रगाने के

अरावा कोई बव सागय ऩाय कयने वारा यास्ता नहीॊ है |

कोई व्मष्ट्क्त भहान नहीॊ होता लसपत उसके कभत भहान होते है लसपत व्मककत के िेहये को कभत का भ


खोिा फना टदमा

जाता है | एक सभम के फीत जान ेके फाद उस व्मष्ट्क्त के ऩश्िात सफक


छ खत्भ हो जाता है अथातत व्मवस्था-व्मवस्था

होती है जो व्मष्ट्क्त ऩय नहीॊ िरती | इसलरए न भार


भ ककतने भहान याजा, शासक ह


ए ............ ऩरयणाभ उनके फाद

सफ खत्भ हो गमा | अफ याजनीनत व याजनेता के ननिे राकय ननमॊिण, सभन्वम व ववशेष व्मवस्था फनान े का जो

प्रमास हो यहा है हभ उसे बी "आत्भहत्मा" ही भानेग ेऔय मह रोकतॊि के लरए अच्छा है | घोिारो, अऩयाधो, भ्रस्िािाय,

चगयते भानवीम भ


ल्मों के फढ़ते सभ


न्दय भें से "साइड इफ़ेक्ि" ही तो स्वस्थ ऩयॊऩया व जान शासन के असरी आधाय है

|

आऩ भें से कई भानते है जनता को ठगा, उसे फेवक


प फनामा, ठेंगा फतामा, योड ऩय उतया उतया कय हाथ भें भोभफती

ऩकड़वाई व उसी के प्रकाश भें ि


न ि


न के ववशेष शयीय के अॊगो ऩय डॊडे ऩड़वाए औय न भार


भ ककस- ककस के कैसे-कैसे

पेये रगवामे औय अॊत भें जाकय आत्भहत्मा कयने को भजफ


य कय टदमा ऩय मह आत्भहत्मा बी परदामी है ताकक जनता

सभझे की "व्मवस्था" क्मा होती है | ववऻान की बाषा भें म


कहे कड़वी दवाई है ऩय स्वस्थ होने के लरए भजफ


यन ऩीनी

ऩड़ती है िाहे नाक फॊद कयके रे मा आॉख औय कान |

साइॊटिकपक-एनालरलसस ... ... - -


फकसान आॊदोरन को ऐनतहाससक फनान े को त



री केंद्र सयकाय व उसके भॊत्रीगण...... ऩयरत



सॊकेतो को नही ॊ सभझ ऩा यहे फकसान


राखो रोगो के सभथनत व सभ


हन से मे आन्दोरन ईनतहास के ऩन्नों ऩय अऩनी स्थाई रकीये खीॊि ि


का है ऩयन्त


केंर सयकाय, केंरीम

भॊिीगण एवॊ कई याज्मों के भॊबिमो सटहत तथाकचथत हभायी ऩािी की सयकाय कहने वारे नेतागण इसे ऐनतहालसक फनाने ऩय त


रे ह



है ऩयन्त


ककसान रोग सॊकेतो को सभझ नहीॊ ऩा यहे है इसलरए भाभरा फातिीत के लरए बी पस यहा है ।

सयकाय भें फैठे नेताओ ने ऩहरे भ


ॉह भयोड़कय ककसानो को आॊदोरन के लरए प्रेरयत ककमा कपय ना स


नकय उनके टदल्री आने के लरए

काऩेि बफछामा.... इसके ऩश्मात उन्हें फॉडयत ऩय योककय मह भ


ॉह औय भस


य की दार जताकय उसे याष्ट्रिम स्वरूऩ देने का सपर प्रमास

ककमा। अफ तो स


प्रीभ कोित ने बी इसके याष्ट्रिम आॊदोरन होने की फात भानी है ।

भॊिीगण व जनप्रनतननचध आमे योज भीडडमा की फैशाणखमों का सहाया रे आॊदोरनकायी ककसानो को खालरस्तानी, आतॊकी रोगो स े

ननदेलशत, वाभऩॊथी सोि, ववरोही मानी ववऩऺ द्वाया िरामा आॊदोरन, भ


ठी बय रोगो की सोि, कई ककसानो के सॊगठन उसके साथ
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