biranishri
(Biranishri)
#1
फड़ी फातो, कथनो, गदमो, कववताओ से एक जगह बफठाकय यखने वारो को देखा, फड़े फड़ े ऩदो के क्रीभ (ऩ
ु
रुष वारी व
औयत वारी) वारे िेहये देखे............. ऩरयणाभ क्मा ननकरा हभ सफका भालरक एक है औय लसपत याजनीनत ही अभ
ृ
त
सागय है ष्ट्जसके अरावा व उससे फड़ा कोई नहीॊ इसलरए सबी प्रोपेशनर रोगो के ऩास उसी भें आकय ड
ु
फकी रगाने के
अरावा कोई बव सागय ऩाय कयने वारा यास्ता नहीॊ है |
कोई व्मष्ट्क्त भहान नहीॊ होता लसपत उसके कभत भहान होते है लसपत व्मककत के िेहये को कभत का भ
ु
खोिा फना टदमा
जाता है | एक सभम के फीत जान ेके फाद उस व्मष्ट्क्त के ऩश्िात सफक
ु
छ खत्भ हो जाता है अथातत व्मवस्था-व्मवस्था
होती है जो व्मष्ट्क्त ऩय नहीॊ िरती | इसलरए न भार
ू
भ ककतने भहान याजा, शासक ह
ु
ए ............ ऩरयणाभ उनके फाद
सफ खत्भ हो गमा | अफ याजनीनत व याजनेता के ननिे राकय ननमॊिण, सभन्वम व ववशेष व्मवस्था फनान े का जो
प्रमास हो यहा है हभ उसे बी "आत्भहत्मा" ही भानेग ेऔय मह रोकतॊि के लरए अच्छा है | घोिारो, अऩयाधो, भ्रस्िािाय,
चगयते भानवीम भ
ू
ल्मों के फढ़ते सभ
ु
न्दय भें से "साइड इफ़ेक्ि" ही तो स्वस्थ ऩयॊऩया व जान शासन के असरी आधाय है
|
आऩ भें से कई भानते है जनता को ठगा, उसे फेवक
ू
प फनामा, ठेंगा फतामा, योड ऩय उतया उतया कय हाथ भें भोभफती
ऩकड़वाई व उसी के प्रकाश भें ि
ु
न ि
ु
न के ववशेष शयीय के अॊगो ऩय डॊडे ऩड़वाए औय न भार
ू
भ ककस- ककस के कैसे-कैसे
पेये रगवामे औय अॊत भें जाकय आत्भहत्मा कयने को भजफ
ू
य कय टदमा ऩय मह आत्भहत्मा बी परदामी है ताकक जनता
सभझे की "व्मवस्था" क्मा होती है | ववऻान की बाषा भें म
ु
कहे कड़वी दवाई है ऩय स्वस्थ होने के लरए भजफ
ू
यन ऩीनी
ऩड़ती है िाहे नाक फॊद कयके रे मा आॉख औय कान |
साइॊटिकपक-एनालरलसस ... ... - -
फकसान आॊदोरन को ऐनतहाससक फनान े को त
ु
री केंद्र सयकाय व उसके भॊत्रीगण...... ऩयरत
ु
सॊकेतो को नही ॊ सभझ ऩा यहे फकसान
राखो रोगो के सभथनत व सभ
ू
हन से मे आन्दोरन ईनतहास के ऩन्नों ऩय अऩनी स्थाई रकीये खीॊि ि
ू
का है ऩयन्त
ु
केंर सयकाय, केंरीम
भॊिीगण एवॊ कई याज्मों के भॊबिमो सटहत तथाकचथत हभायी ऩािी की सयकाय कहने वारे नेतागण इसे ऐनतहालसक फनाने ऩय त
ु
रे ह
ु
ए
है ऩयन्त
ु
ककसान रोग सॊकेतो को सभझ नहीॊ ऩा यहे है इसलरए भाभरा फातिीत के लरए बी पस यहा है ।
सयकाय भें फैठे नेताओ ने ऩहरे भ
ु
ॉह भयोड़कय ककसानो को आॊदोरन के लरए प्रेरयत ककमा कपय ना स
ु
नकय उनके टदल्री आने के लरए
काऩेि बफछामा.... इसके ऩश्मात उन्हें फॉडयत ऩय योककय मह भ
ु
ॉह औय भस
ू
य की दार जताकय उसे याष्ट्रिम स्वरूऩ देने का सपर प्रमास
ककमा। अफ तो स
ु
प्रीभ कोित ने बी इसके याष्ट्रिम आॊदोरन होने की फात भानी है ।
भॊिीगण व जनप्रनतननचध आमे योज भीडडमा की फैशाणखमों का सहाया रे आॊदोरनकायी ककसानो को खालरस्तानी, आतॊकी रोगो स े
ननदेलशत, वाभऩॊथी सोि, ववरोही मानी ववऩऺ द्वाया िरामा आॊदोरन, भ
ु
ठी बय रोगो की सोि, कई ककसानो के सॊगठन उसके साथ