biranishri
(Biranishri)
#1
घिनाक्रभ से कई अथत ननकरते है जो अरग अरग नजरयमे व सोि के स्तय के कायन प्रकि होते है | अफ आऩ ही
देणखमे "आत्भहत्मा का अथ" त
# याजनैनतक ऩािी की सोि वारे रोगो के लरए मह फड़ा हयष् व गवत का ववषम है की उन्होंने वही ककमा जो उनके
अन
ु
साय सही था | इसके लरए ककतना ही फड़ा आॊदोरन हो जामे, जनता योड ऩय उतय आमे कोई पकत ऩड़ने वारा नही ॊ
अफ इस उदाहयण से सबी आवाज उठाने वारो को अप्रत्मऺ रूऩ से सभझा टदमा आगे उनकी भजी वो िाहे तो आभयण
अनशन कयके आत्भहत्मा कये मा नहीॊ ऩािी फनाकय.........
# नहीॊ ऩीढ़ी याजनीनत भें नहीॊ आना िाहती ऐसा अचधकाॊश सवे कहते है मटद कोई आ बी जामे तो वततभान याजनीनत
दार उसे ककस प्रकाय तोड़ती है, वऩसती है, खयीदती है, पोड़ती है, फािती है, ररिाती है, भ्रलभनत कयती है, उकसाती है,
फगराती है की आगे उसका क्मा उसकी यह ऩय िरने वारो का बी नभो ननशान लभि जामे | इसके फाद नए म
ु
वा
याजनीनत भें आने से ऩहरे सौ फाय सोिेंगे | इसे आऩ याजनननतक ऩाटितमो का रोगो के लरए आत्भहत्मा सभझ रे |
इसके आगे दर फदर
ु
ओ को ऩद, भान, ऩैसा आटद देकय अऩने कामतकतातओ को सन्देश दे टदमा काभ, ईभानदायी व
ववश्वाश की फाते ि
ु
र
ु
बय ऩानी भें ड
ु
फोडो स्वाथी, रारिी, व्मष्ट्क्तवादी, भौकाऩयस्त व जनता को कैसे बी उल्र
ू
व गधा
फनान े का ग
ु
ण सीखो िाहे आऩ ककसी बी व्मवसाम से आओ इन्ही ऩ
ू
ॊजी को सहज कय राओ.................मही सायी
याजनैनतक ऩाटितमो का नमा भ
ू
र लसद्दाॊत है | मह याजनैनतक ऩाटितमो का अऩने आऩ के लरए "आत्भहत्मा" है |
# अन्ना हजाये जी को आज का गाॊधी कहकय कइमों ने जनता को अऩने साथ जोड़ा व नए गाॊधी के ज
ु
भरों का
इस्तेभार कयके अऩना उल्र
ू
साधने व व्मष्ट्क्तवाद के स्वाथत को ब
ु
नाने की कोलशश कयी | इसका आगे पर क्मा ननकरा
स्वमॊ अन्ना हजाये जी ककसी याजनीनत ऩािी के सभथतन भें जाकय नए गाॊधी को जन्भ से ऩहरे ही कोख भें भाय डारा |
# कई फड़े फड़े भीडडमा के िहे ये अन्ना आॊदोरन ऩय ककताफे लरखकय, खफये फनाकय व खफये टदखाकय ऩाटितमो भें जाकय
स्वाथत लसद् कय लरमा अफ ऩाटितमो के स
ु
साइड ऩय ककताफे लरखकय, खफये फनाकय, खफये फताकय कपय न जाने कोनसा व
ककसके लरए व्मष्ट्क्तवाद का टहत साधेंगे | इसे रोगो के लरए इनतहास फनान े वारो का ख
ु
द के इनतहास के लरए
"आत्भहत्मा" सभझ सकते है |
# केजयीवार ने याजनीनत फदरन े की ह
ु
ॊकाय के लरए ख
ु
द आत्भहत्मा कयने का कदभ उठामा व नहीॊ ऩािी फना री
ऩरयणाभ / सि जनता के साभने आ गमा | देश व जनता के नाभ ऩय फड़े फड़े स
ु
यभा व आजकर 14 , 20 , 21 इॊि
से फड़े होकय 36 , 45 , 60 इॊि के िचितत िहेये हो यहे है वो कैस े चगयचगि से बी तेज यॊग फदरकय नमा
ववश्वकीनतभत ान फनाते है वो जनता को टदखा टदमा व टदखा यहे है | अच्छे इनतहासकाय (भन की भ
ु
यीद के अन
ु
साय
लरखने वारे) इसे केजयीवार की याजनीनत वारी आत्भहत्मा कह सकते है | ष्ट्जसने रोकतॊि के ग
ु
णगान कयने वारो के
टदर भें छ
ु
ऩे कऩि को कऩार बायती कयवा टदमा |
# जनता ने फड़े फड़े वकीर देखे, ऩ
ु
लरस अपसय देख, े सेना के भोिे भोिे अचधकायी देखे, भद
ु
यबासी सभाजसेवी देखे,
उद्मोगऩनत वारे दानदाता देखे, फड़े फड़े साध
ु
देखे, फाफा देखे, नाभ के आगे व ऩीछे फड़े फड़ ेबायी अथत वारे शधद रगान े
वारे देखे, क
ु
लसतमों ऩय चिऩके अचधकायी व सत्ताधायी याजनेता देखे, धभत की लशऺा देने वारे बफना िन्दनधायी व नतरक
वारे नए अवताय देखे, सि को बी िीयकय सि यख देने वारे ऩिकाय देखे, न भार
ू
भ औय क्मा क्मा देखे व भध
ु
य
आवाज के गामनो के भहायथी देखे ष्ट्जन्होंने हय ननवारे ऩय हाजभा के बफगडने के अहसाश को रगने से योका औय फड़ी