biranishri
(Biranishri)
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इॊडडमा गेि ऩेरयस के आकत डे रामम्प से प्रेरयत व बब्रटिश एडवडत र
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टिमन्स की डडजाईन ऩय आधारयत अग्रॊ ेजो द्वाया
1931 भें स्थावऩत 43 भीिय की रार-ऩीरे फर
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आ ऩत्थयों से ननलभतत उच्िी ववशार भीय है | इस ऩय अपगान म
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1919 के दौयान ऩष्ट्श्िभोत्तय सीभाॊत भें भाये गमे 13516 से अचधक बब्रटिश व बायतीम सैननकों के नाभ दजत है |
ऩाककस्तान से सन 1971 की जॊग के फाद इसे याष्ट्रिम स्भायक का रूऩ देते ह
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मे ननिे अभय जवान ज्मोनत की अखण्ड
ज्वारा प्रज्ज्वलरत की गई औय अऻात सैननक की यामपर उल्िी रगा उस ऩय िोऩी रगाई गई ताकक इस म
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द् भें भये
सबी सैननकों को श्
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द्ाॊजलर दी जा सके |
इस सभम के ऩश्िात कई बायतीम वीयों ने देश के लरए सवोत्तभ फलरदान दे शहीद का दजात प्राप्त ककमा | इन्हे रोकर
प्रशासन के द्वाया याष्ट्रिम प्रनतननचध के तौय ऩय श्
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द्ाॊजलर दे दी जाती है व भाभरा मही ऽत्भ हो जाता है | फह
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त कभ
भाभरो भें शहीदों की भ
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नत तरगती है औय ककसी िौयामे का नाभ यख टदमा जाता है | इन्हे यारि के सवोच्म ऩदों द्वाया
आसीन रोगों से कबी सराभी नहीॊ लभरती है व स्वतॊिता टदवस औय गणतॊि टदवस ऩय कयोड़ों यारिवासी की ओय से
यारिऩनत व प्रधानभॊिी सराभी बी नहीॊ दे ऩाते है |
अफ वैऻाननक-प्रफॊधन का वो तयीका सभझे जो हय शहीद जो ब
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तकार, वततभान व बववरम से ज
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ड़ा हो उसे बी आने वारे
म
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गों तक प्रत्मेक याष्ट्रिम ऩवत ऩय सबी देशवालसमों की तयप से श्
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द्ाॊजलर अवऩतत कयवामेगा |
इन्शानो भें शवों के अॊनतभ सॊस्काय की प्रकक्रमा भें दो तयीके प्रभ
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ख है ऩहरा उसे जराना व द
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सया जभीन भें गाढ़ देना |
अफ ववऻान के भाध्मभ से अभय जवान ज्मोनत ऩय रगाताय प्रज्जवलरत अष्ट्नन को एक भशार के रूऩ भें सैननक के
ऩैत
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क स्थान ऩय ऩह
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ॊिामा जामे व उसके द्वाया ही ऩाचथतव शयीय को भ
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खाष्ट्नन दी जामे | इसके ऩश्िात ्शवदाह की अष्ट्नन
को वाऩस भशार भें रेकय उसे उसे वाऩस अभय जवान ज्मोनत को सभवऩतत कय दी जामे |
ओरष्ट्म्ऩक खेरों से ऩहरे अष्ट्नन की भशार को आमोजक देशों भें घ
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भामा जाता है | इसे हवाई जहाज, िैन, फस व काय
भें बी सबी भौसभ के अॊदय बफना ककसी द
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घतिना के ऩ
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या ककमा जाता है | देश के हय ऺेि भें सैननकों की छावननमाॉ फनी
है इसलरए अभय जवान ज्मोनत से द
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यी की कोई सभस्मा नहीॊ है | अष्ट्नन दाह सॊस्काय के क
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छ सभम ऩ
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व तव फाद भें क
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छ
टदनों फाद बी जा सकती है |
ष्ट्जन धभों भें भ
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त देह को जभीन भें गाढ़ने की प्रथा है वहाॉ अभय जवान ज्मोनत के उप्ऩय जो प
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र िढ़ामे जाते है उनकी
फगीिी की लभट्टी को शहीद के घय ऩह
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ॊिामा जामे ष्ट्जसे शव के साथ कब्र भें डारा जामे | इसके एक ननष्ट्श्ित सभम
अॊतयार के फाद कब्र की थोड़ी लभट्टी को रेकय वाऩस प
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रो के फगीचिमों भें डार टदमा जामे |
आज बायत के प्रधानभॊिी ने नेशनर वाय भेभोरयमर को यारि को सभवऩतत ककमा है | इस वाय भेभोरयमर भें शहीद का
नाभ ईि ऩय उसकी फिालरमन के साथ लरखने का प्रावधान ककमा है | इस नमे वैऻाननक-प्रफॊधन भें जफ कब्र से लभट्टी
वाऩस सभवऩतत की जामे तफ ऩरयवाय के रोगों से ही उस ईि की स्थाऩना कयाई जामे |
कई धभों भें शव ऩक्षऺमों व जीव-जन्त
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ओॊ के लरए छोड़ टदमा जाता है व आज के ववऻान के म
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ग भें भ
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त देह भानव
जानत के कल्माण हेत
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भेडडकर कॉरेज भें दान कय दी जाती है | इस तयह की अॊनतभ प्रथा भें शव के जो अॊश अतॊ भें
फिते है उन्हें जराकय मा जभीन भें गाढ़ उवतकता भें फदर उन प
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रो की फगीचिमों भें डार टदमा जामे |
आजकर याष्ट्रिम ऩवत व त्मोहायों ऩय एक दीऩक शहीदों के नाभ से जराने की अच्छी प्रथा िर यही है | इस तयह की
श्
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द्ाॊजलर व माद कयने के कामतक्रभों भें दीऩक जराने के लरए अष्ट्नन अभय जवान ज्मोनत वारी काभ भें री जामे | मह
ननकि की सैननक छावनी द्वाया आसानी से उऩरधध होगी |
इससे देश के हय टहस्से भें "यारि-फलरदान" के प्रनत नई ऊजात व बावनामे जगेगी | हय सैननक की भ
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नत तरगाना सम्बव
नहीॊ व हय दाह सॊस्काय ऩय यारिऩनत औऱ प्रधानभॊिी का ऩह
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ॊिना बी भ
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ष्ट्श्कर है | इस नमे तयीके से यारिऩनत बायतीम