प्रोगाभ िरामे | ष्ट्जसके तहत प्रत्मेक िहेये के फ
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याई के आधाय ऩय अऩने सार बय के प्रकाशन भें ष्ट्जस व्मष्ट्क्त का नाभ
असाभाष्ट्जक, अनैनतक, अऩयाध, फरात्काय, िोयी, घोिारे, रयश्वतखोयी, लभरावि, अभानवीमक
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त इत्माटद इत्माटद भें आता
है (मटद फ
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याई ज्मादा हो तो िेहये के आरावा शयीय के द
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सये टहस्सों ऩय बी फ
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याइमो का नाभाॊकयण कय सकत ेहै) उनके
नाभ की स
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िी अऩने दशतक औय ऩाठक को द े औय उनस े वोटिगॊ , िमन, sms, इत्माटद के भाध्मभ से वोटिॊग कयवाम े
औय दहशये के टदन िॉऩ 5 - 5 रोगो का नाभ प्रकालशत कये व टदखाए | इसके आरावा बगवान याभ (छोड़कय) के
इनको भायने के लरए प्रत्मेक एक तीय ऩय अच्छाई का प्रनतक दे जैसे - नई दवाई, खोज, फहाद
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यी, साभाष्ट्जक क
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नतमत ों को
खत्भ कयने की नई ऩहर, रयश्वतखोय को ऩकड़वाने का प्रमास, घोिारे खोजने वारे व्मष्ट्क्त, आय िी आई से सि
उजागय कयने वारे इत्माटद इत्माटद |
आऩ सबी रोगो की मही याम होगी की अदारत जफ तक दोषी नहीॊ ठहया दे तफ तक ककसी का बी नाभ इस तयह
प्रकालशत नहीॊ कय सकते है | हभ इस भाध्मभ से ककसी को दोषी नहीॊ फता यहे अवऩत
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जनता अऽफाय, िीवी प्रोग्राभ, ऩय
टदखाए गए प्रभाणों, तथम एवॊ आऩ भे से ही ि
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ने गए फ
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वद्जीवो के ववश्रेषण के आधाय ऩय सवातचधक ककसे दोषी भानती
है वो फता यहे है | रोकतॊि के प्रत्मेक ि
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नाव से ऩहरे एष्ट्नजि ऩोर के भाध्मभ से रोगो की याम फताते है |
सवातचधक धनी रोग, सफसे ख
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फश
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यत व सेक्सी हीयोइन, सफसे फड़े दानी, सफसे फड़े ताकतवय ऩ
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रुष औय भटहरा की स
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िी,
सवातचधक सैरयी रेन े वारे कभतिायी, प्रत्मेक फ
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याई ऩय याज्मों की लरस्ि, सफसे भ्रस्ि औय रयश्वतखोय देसो की स
ु
िी
इत्माटद इत्माटद को प्रकालशत कय यहे है | होरी के तमोहाय / साभाष्ट्जक यीती के सभम रोगो को उनके नाभ व िाइिर
देने व ऩेयोडी गाने फनाने का रयवाज हभाये सभाज औय व्मवस्था भें फह
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त ऩ
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याने है भीडडमा फ
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या भत भानो होरी है के
फैनय तरे इन प्रकालशत औय प्रसारयत बी कयती है | ि
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नाव के सभम इनका प्रमोग क
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छ हद तक हो यहा है अफ एक
कदभ औय आगे फढ़ाना है |
इसके आने से कभ से कभ भीडडमा उन रोगो ऩय बी रगाभ रगेगी जो जानफ
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झ कय भीडडमा भें आने के लरए उरिे
सीधे तयीके इस्तेभार कयते है औय आऩ के फच्िो को गरत भागत ऩय रे जात े है औय गरत फ
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ये व असाभाष्ट्जक काम त
कयके प्रिाय भाध्मभ से ऩष्ट्धरलसिी प्राप्त कयके देश भें छा जाते है | अचधकाॊश रोग मही कहाॉ िाह यहे होंगे की श
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रुवात
भें तो सही है ऩय फाद भें ककसका नाभ आमे मा नहीॊ उसे खयीद लरमा जामेगा | हभ सबी भीडडमा की सॊस्था को दोषी
नहीॊ कह सकते है औय ऐसा कोई नहीॊ है जो ऩ
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यी भीडडमा को खयीद रे |
अऩीर / अन
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योध / सराह / भागतदशतन /श
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ब काभनामे / ववनती :- आऩ स्वमॊ ककसी अऽफाय, ऩबिका, न्म
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ज़ िैनर, न्म
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वेफसाइि आटद के सॊस्थाऩक, सॊऩादक व भैनेजभेंि के सदस्म है तो इसकी श
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रुवात कये | मटद सहराकाय / ऩिकाय, /
कॉरभ के रेखक इत्माटद है तो अऩनी सॊस्था के ऩास इसको राग
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कयने के लरए बेजे | मटद आऩ भीडडमा एवॊ इसके
लरए 24 घॊिे रगाताय काभ कय यहे रोगो के श
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बचितॊ क है तो उन्हें इन सन्देश को जरूय बेजे / शेमय कये / िाइभ
राइन भें डारे / यीट्वीि कये | मटद आऩ आभ नागरयक है तो सववधान के अन
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साय देश के भालरक होने का धभत जरूय
ननवातह कये औय भीडडमा को ऐसा कयने को अवश्म कहे |
मटद आऩको अऩने कौशर व प्रोपेशनर भें ववश्वाश है तो उसके आधाय ऩय ववश्रेषण कय के इस उऩाम / सोि को
अचधक प्रबावी फनाने का स
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झाव / सराह / प्रस्ताव देना न ब
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रे | इसभे अच्छे व फ
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ये काभो के नाभ दे सकते है जो
इसभें शालभर होने िाटहए | मटद आऩको रगता है की सफ क
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छ सही है औय आऩ ऩ
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णततमा स
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खी व सभधत है तो व
आऩके देश व सभाज एवॊ आस ऩास भें ककसी प्रकाय की कोई सभस्मा नहीॊ है तो भौन यहकय बफना राइक, शेमय, कभेंि
लरखे अऩनी स्वीक
ृ
नत अवश्म दे |
सत्माऩन ...... ...