यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1

ववजमादशभी का ऩवष फनाने वारो को च



ल्र


बय ऩानी भें र्


फ भयना चाटहए!


दहशया मानन फ


याई ऩय अच्छाई की जीत के भहाऩवत ववजमादशभी का त्मौहाय फनाकय िोयामो, सड़को ऩय पिाके पोड़

कय हषोउल्रास का शॉखनाद कयने वारे रोगो को भमातदा ऩ


रुषौत्तभ बगवान याभ व भाता सीता के आदशो को सफस े

आगे यखते ह


मे ि


ल्र


बय ऩानी भें ड


फ भयना िाटहए |

इस अवसय ऩय भये ह


मे यावण को फाय-फाय ऩ


तरे के रूऩ भें जराकय हय ईन्सान अऩने आऩ को सच्िाई की जीत का

लसऩाही सभझ गदतन को तानकय अकड़ता है औय सड़को ऩय हन


भान के बक्त फॊदयो की तयह सड़को ऩय उछरक


द कय

बीड़ भें शौयग


र कयता ह


आ यावण के ऩ


तरे को जरता ह


आ देख अऩने भन भें फसे यावण को कपय छ


ऩकय घय रे

आता है |

यावण ने तो लसपत भाता सीता का हयण ककमा था उसका फरात्काय कपय जघन्म हत्मा नहीॊ कयी तफ बी इतना कठोय

दॊड टदमा ताकक सभाज भें धभातन




र सही धायण की स्थाऩना हो सके | आज हय शहय- शहय औय गाॊव-गाॊव भें हजायो -

राखो की तादाद भें हय वषत की तयह इस फाय बी यावण खड़े कय टदमे गमे है | इन्ही यावणो की ऩयछाई भें हय जगह

ष्ट्स्िमों क्मा फष्ट्च्िमों के फरात्कायी व उनकी जघन्म हत्मा कयने वारो का लभरना आभ हो गमा है |

हभ ऐसे रोगो को ष्ट्जन्दा जराने की फात नहीॊ कयते क्मोकक ़ान


नी व्मवस्था बफगड़ जामेगी व सभाज की सायी

भमातदामे भटिमाभेि हो जामेगी | रोकतॊि की व्मवस्था भें कान


न है, अदारते है जो इन्हे सजा देने का काभ कयती है |

फरात्काय व कपय ननभतभ हत्मा कयने वारो को अफ भ


त्म


दॊड देने का प्रावधान हो गमा है |

आऩ स्वम ॊअऩने टदर ऩय हाथ यखो मा ना यखो अऩनी फेिी के लसय मा भाता के ियणों भें मा ऩत्नी के िेहये ऩय हाथ

यखकय फतामे की आज के टदन बी अदारत ने ऐसे ककसी बी एक अऩयाधी को पाॊसी ऩय रिकामा है | मह तो छोडो

इस कान


न को फने ह


मे अयसे हो गमे इसके फाद बी आज तक ककसी एक अऩयाधी को बी स


री ऩय िढ़ामा है उल्िा

ऩीडड़त ष्ट्स्िमाॉ स्वमॊ ऩ


लरस स्िेशन जाकय पॊदे ऩय झ


र जाती है |

अदारते ववजमादशभी की छ


टिमाॉ फना यही है औय जज िीवी ऩय यावण दहन का र


फ्त उठा यहे है | प्रशासन के

ष्ट्जम्भेदाय रोग, नेता, भॊिी व ननिे से रेकय उप्ऩय तक के सॊवैधननक ऩदों ऩय फैठे जवाफदाय रोग नकरी तीय-धन



रेकय गरी-गरी भें खड़े यावण के भ


खौिो को जराने के लरए दौड़ बाग कय यहे है औय कही-कही तो भें-भें के िक्कय भें

आऩस भें ही लसय पोत


हर वारी याजनैनतक रीरा कय यहे है |

इसलरए हभने ऽ


शी के टदखावा कयन ेवारो को ि


ल्र


बय ऩानी भें ड


फ भयने को कहा न की नदी भें जाकय भयने को |

कर ही नवयािी ऩ


यी ह


ई है औय नटदमों भें भाताओ का ववसजनत िार


है इसलरए भाॉ की कोख व आॉिर भें जाकय िहे या



ऩाना बी जघन्म अऩयाध से कभ नहीॊ है | धभत, आस्था, भमातदा भें ववश्वास यख ईभानदायी व सच्िाई से फ


याई ऩय

अच्छाई की जीत का ऩवत फनाना है |

फष्ट्च्िमों व ष्ट्स्िमों के फरात्काय, गैंगयेऩ की खफयों व भटहराओ को अखफायों भें छाऩने, िीवी ऩय टदखाने, पेसफ


क,

व्हाट्सप्ऩ एवॊ अन्म सोलशमर लभडडमा ऩय पॉयवडत मा शेमय कय कोई ऩ


ण्म का काभ नहीॊ कयते है अवऩत


उन ऩीडड़ताओ ॊ

के भाध्मभ से साभाष्ट्जक राज-शयभ् का साभाष्ट्जक िीयहयण कयत े है क्मोकक वे सजा तो ककसी बी एक अऩयाधी को

नहीॊ टदरा ऩाते है | इसभें ऩीडड़ताओॊ के पोिो व असरी नाभ नहीॊ होत ेअन्मथा मह बी ककसी फरात्काय से कभ नही ॊ

होते |
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