यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
शाटदमों व उत्सवों भें फढ़ा जामेगा जहा ऩरयवायो को एक ऩैसा बी खित नहीॊ कयना होगा अवऩत


अनिाहे असाभाष्ट्जक

तत्व के उनके ऩारयवारयक कामो भें जफयदस्ती आने ऩय योक रगेगी | इसस े सभाज के फाये भें रोगो का नजरयमा

फदरेगा जो लसपत िॊदा वस


रने की भ्राष्ट्न्त के रूऩ भें पैरता जा यहा है |



ननमा भें शाकाहायी बोजन काभ है इसलरए सम


क्त यारि सॊघ बी कीड़े भकोड़े वारे बोजन ऩय थोड़ा धन ननश


ल्क व

सदेव के लरए स्वीक्रत कयता है ताकक ब


खे रोगो तक बोजन ऩह


ॊि ऩामे | कैभयों ऩय लसपत एक फाय ही खित होगो व

इनकी कीभत थोड़ी ज्मादा है इस कायण ऩदाचधकारयमों के स्तय ऩय ववशेष प्रमास ककमे जामेगे ताकक सयकाय से िैक्स भें



ि, ग्राॊि व सष्ट्धसडी लभर सके |

सत्माऩन 8 भाित 2015 को इॊदौय (भध्मप्रदेश) भें श्ी आर इॊडडमा श्वेताम्फय जैन काॊफ्रेंस नई टदल्री की

यारिीम भीटिॊग के भॊि से एक प्रस्ताव यखत ेह


ए यारिीम अध्मऺ के हाथ भें दस्तावेज टदए |

20 से 29 भाित के भध्म कयीफन 23 वषो ऩश्िात हज़ायो जैन साध


साष्ट्ध्वमो का सम्भरेन हो यहा है | जहा 28 - 29

भाित के प्रोग्राभ भें देश बय से राखो की तादाद भें शद्ातर


आएॊगे उन सफी को सभाज की तयप से ननश


ल्क बोजन

कयामा जामेगा उस सभम द


ननमा भें ऩहरी फाय खाना झ


ठा न जामे इस हेत


"वैऻाननक प्रफॊधन" के आधाय ऩय CCTV

कैभया का सावतजननक तोय ऩय प्रामोचगक रूऩ से इस्तेभार कयके सबी सॊतो एवॊ साधवीमो को अऩने िौभासे भें राग


कयने का आधाय फनामा जामे ऐसा प्रस्ताव यखा है |

एक ववश्व रयकॉडत फनान े हेत


कैभयों के रगाने एवॊ व्मवस्था का भास्िय प्रॉन बी व्मवस्थाऩक सदस्मों को प्रस्त


त कय

टदमा | इस हेत


आने वारा अनतरयक्त खित बी नगण्म है व व्मष्ट्क्त्तगत आधाय ऩय राखो रोगो के लरए बोजन का खि त

उठा यहे सम्भानीम व्मष्ट्क्त मह खित उठाने हेत


बी सभथतन कय ि


के है |

सबी भाननीम तैमाय थे तफ बी श


रूआत नहीॊ ह


ई इसलरए ककसी कामत को कयने व फदराव के लरए आवश्मक अचधकाय

होना जरूयी होता हैं अन्मथा तायीप व फधाई से क


छ बी सम्बव नहीॊ हैं ।

भहावीय जमॊती ऩय ववशेष!


सावषजननक रूऩ से हभायी फपछरी क



छ ऩोस्िो के सरए भाफ़ी........


जैननमो भें बी व्मष्ट्क्तवाद हावी है इसलरए सबी श्वेताम्फय, टदगॊफय, भष्ट्न्दयभागी, भ


नततऩ


जक, स्थानकवासी, तेयाऩॊथी,

फाइसऩॊथी, श्भणसॊघ. न भार


भ क्मा क्मा सबी "बगवन" मा तीथिंकय "भहावीय" का हैप्ऩी फथडत ेजरूय एक टदन फनाते है

| मटद धभत, कभत, लसधान्तो एवॊ भ


र बावनाओ के िरयिों, (सम्मक ऻान, सम्मक िरयि, सम्मक दशतन) ग्रॊथों, ष्ट्जनका

अन


सयण ऩहरे के 23 तीथकिं य व िौफीसवें भहावीय स्वाभी ने कया उस आधाय ऩय ऺभा मािना ऩवत की फात कय रे तो

सबी जने अरग अरग नतचथ मा टदन को फनाते है अथातत इस व्माऩक सोि के अष्ट्स्तत्व को ही नकाया जाता है |

हभन ेइन्हे लसद्ाॊतो व सबी ग


रुओ एवॊ भहावीय स्वाभी के उऩदेशो को आगे यखकय आज के इनके बक्तो, अन


मानममों,

भहावीय के उऩदेश व लसद्ाॊत रोगो को फताने व उसकी सराह देने वारे सॊतो एवॊ साष्ट्ध्वमो को एक प्रस्ताव टदमा | इस

प्रस्ताव के लरए रगाताय हभायी ऩोस्ि प्रकाशन "जैन धभत का नमा कदभ..........जो द


ननमा भें राएगा क्राॊनत" "नमा

वषत....नई श


रुवात" आिामत श्ी के िाइभ रेने ऩय अन्न को फफातद होने से योकने की भ


हीभ, जैन सॊत व साष्ट्ध्वमो के

भाध्मभ से हो यहे अधभत को योकने की अऩीर ऩय आटद को आऩके सभथनत का आधाय फनामा | इसका ऩरयणाभ क्मा

ननकरा वो बेजे अॊनतभ सन्देश की ज


डी कॉऩी से ऩता िर जामेगा |
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