biranishri
(Biranishri)
#1
जैन अन
ु
माईमों को अऩने तीथिंकयो की सोि को नभन कयना िाटहए क्मों कक उनके फाद "सॊथाये" के भाग त को कोई
सभझ नहीॊ ऩामा अन्मथा "ऩम
ु
तषण-ऩव" त की बानत इस ऩय बी ऩ
ू
या सभाज एकज
ु
ि न होकय श्वेताम्फय, टदगॊफय,
फाइसऩॊथी, तेयाऩॊथी, भष्ट्न्दयभागी, स्थानकवासी, भ
ू
नतऩत
ू
जक न भार
ू
भ कौन-कौन से सॊत-साध्वी के प्रधानो भें फि जाता |
अदारत भें क्मा आधाय यखे वो प्रकि नहीॊ ह
ु
मे लसपत हभाये धभत भें ऐसा है वो ही कट्टयता ज्मादा प्रदलशतत ह
ु
ई | मह
स्ऩरि नहीॊ कया की ऩहरे जीवन को उम्र के आधाय ऩय िाय बागो भें फाॊिते थे औय "सॊथाया" अष्ट्न्तभ सन्मास आश्भ
के रोगो हेत
ु
है जो 75 से 100 वषत की उम्र के लरए है इसलरए "आत्भहत्मा" के दामये से लबन्न है |
धन-रोर
ु
ऩता के दौय भें सॊथाये के सभम व्मष्ट्क्तगत सम्ऩनत के ववतयण को न फता शॊकाओ की जड़ को खत्भ नहीॊ कया
| सॊथाया जीवन जीने के फाद प्रशन्नता से देह त्माग है मा आत्भहत्मा की तयह व्मवस्था, अऩयाध, शोषण, दभन एवॊ
सभवऩतत कामत के फाद बी श
ु
न्म से ननयाशा भें ड
ु
फो देने का ऩरयणाभ औय फीभायी के ईराज न होने से तड़ऩ-तड़ऩ कय
जीने का नहीॊ | लसयो की चगनती से एकता भें प्रकक्रमा की एकता का अबाव रगा जहाॉ सॊथाये के इच्छ
ु
क रोगो का तॊि
अबी की व्मवस्था भें आधाय फन सके |
नए तॊि का आत्भहत्मा के नोि से लबन्नता के भाऩदॊडो की गोऩनीमता ववऻान के म
ु
ग भें रयश्ते, ऩरयवाय, धन-सम्ऩदा व
देह-भोह छोड़ने के फाद शेष यहे आॉख, नाक, ककडनी, ह्रदम आटद अॊगो के फाये भें भौन की क
ु
ॊडरी फना फैठ जाना व इसी
भौन के ऩीछे बववरम के भागत ऩय अॉधेया फता देने का सॊकेत कहा तक उचित है |
इन्शान की अऩनी ष्ट्जॊदगी जीने व खत्भ कयने के अचधकाय ऩय फहस का दौय जायी है उसके आधाय ऩय उच्ितभ
न्मामारम से ऩ
ू
वत के आदशो को सत्मावऩत कय रोकतॊि के भजफ
ू
य-तॊि भें फदरते दौय भें सॊख्मा फर की याजनीती से
जम सॊबव है क्मा मा सयकाय द्वाया ऐसी प्रकक्रमा भें आदभी की व्मष्ट्क्तगत वारी हताशा दजत कयने के प्रेिपाभत वारी
भाॊग सवोच्िम अदारत के भाध्मभ से, जहाॉ ऩय बी क
ु
छ न हो तो उसे आत्भहत्मा का आधाय भाना जामे |
इस खेर भें बी खेर है क्म
ु
की आत्भहत्मा कयने के लरए उकसाना औय भजफ
ू
य कयना बी अऩयाध है | मटद सयकाय न े
रेिरतीपी नौकयशाही व अऩने न झ
ु
कने के घभण्ड के तरे क
ु
छ नहीॊ ककमा तो वो ख
ु
द आत्भहत्माओॊ की दोषी फन
जामेगी ऩयन्त
ु
"सॊथाया" भ
ु
क्त हो जामेगा क्मोकक उसे सयकाय औय व्मवस्था से कोई नायाजगी नहीॊ है |
अऩयाध होने के फाद टदखाने व उसभें व्मष्ट्क्तवाद को आधाय फनाने ऩय सनसनी ज्मादा पैरती हैं औय िीआयऩी व ऩैसा
बी लभरता हैं । मटद भाभरा ऩहरे ही उचित कदभ उठाकय अऩयाध को होने ही न दे तो फड़ा भाभरा नहीॊ फनता हैं,
इसलरए आज की भीडडमा भें जान फिाने वारे से ज्मादा जान रेने वारा ज्मादा प्रलसवद्, कवयेज व यारिीम -
अन्तयातरिीम ऩहिान प्राप्त कयता हैं ।
साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ...
श
ु
फक्रमा, श
ु
फक्रमा इन रोगो न े हभे आतॊकवादी नहीॊ सभझा श
ु
फक्रमा!
इन रोगो का तहे टदर से श
ु
कक्रमा, श
ु
कक्रमा एक नहीॊ सेकड़ो फाय श
ु
कक्रमा, लसय उठाकय श
ु
कक्रमा, लसय झ
ु
काकय श
ु
कक्रमा,
हाथ जोड़कय कभय झ
ु
काकय श
ु
कक्रमा, ऩैयो ऩय फैढकय फायम्फाय श
ु
कक्रमा श
ु
कक्रमा की इन रोगो ने हभे आतॊकवादी नही ॊ