यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
मटद ष्ट्स्िॊग ऑऩयेशन की सीडी सि थी तो दोषी चगयफ्ताय क्मो नहीॊ ह


मे?

हाईकोित यारिऩनत के आदेश ऩय टिप्ऩणी कय सकता है?

सता के रारि भें फड़े-फड़ ेवकीरों का क


द ऩड़ना व वततभान भें कामतशीर वकीरों को वऩछे धकेरना लशऺा व भमातदा के

प्रनत ककतना न्मामोचित है?

रोकतॊि भें सता की क


सी व याजशाही भें याजा की क


सी भें कोई पकत नहीॊ है?

अदारतें व्मवस्था का टहस्सा है मा नहीॊ, आणखय स


िना तन्ि सबी जगह सभान क्मो नहीॊ?

आॉख ऩय ऩट्टी फाॉधे न्माम की भ


नत तसता, ऩैसे, रारि को कैसे बाऩ रेती है जो आभ जनता से हिकय त


यॊत आदेश दे

देती है? इस ऩ


ये घिनाक्रभ भें गरत कौन है? भीडडमा? याज्म सयकाय? याज्मऩार? केन्र सयकाय? मा यारिऩनत-बवन

? न्माम की भमातदा को जीववत यखने के लरए दोषी को दॊड क्मा लभरा?

इस ऩ


ये प्रकयण भें यारिऩनत भहोदम व उनका सॊवैधाननक ऩद गामफ हो गमा लसफ़त यारिऩनत-आदेश साभने नजय आमा,

ष्ट्जसे कबी केन्र सयकाय देती ह


ई टदखती है तो कबी हाईकोित व स


प्रीभ कोित ओय कबी ववधानमका के कदभ-तर आबास

कयाते है व भीडडमा के प्रसाय भें सफको खाभोश नजय आते है |

इस ऩ


ये प्रकयण भें आभ जनता को सभम मह सभझाने भें रगा टदखता है कक कोई टहॊदी कफ़ल्भ िर यही है ष्ट्जसभें

कहने बय का याजा है वह् वास्तव भें कैद है लसफ़त उसके नाभ ऩय वजीय शासन कय यहा है ओय जो वजीय का टहतैषी मा

कभी/गरती ऩकड़ रे, सबी को ऐन-केन प्रकायों से ख


श कयरे वो बफना सता की सहभनत के अऩने ही आदेश जनता ऩय

थोऩ डारता है |

इस राइव िेलरकास्ि भें सफसे ज्मादा िरयि भीडडमा का ही प्रसारयत हो गमा जो सॊववधान के तहत जनता की सयकाय

को याजनैनतक ऩाटितमों की सयकाय कह-कह के सि को घोय अॊधकाय भें नछऩा िॊद रोगो के स्वाथत वश याज कयने की



ॊटठत भानलसकता के ऩ


ये रोकतॊि व सॊववधान को भयणासन कय डारा |

ि


नावों को रोकतन्ि फनामे यखने का आधाय व सॊजीवनी कहाॊ जाता हैं । प्रनतवषत ककसी न ककसी याज्म भें ि


नाव होते हैं व देश मा

रोकसबा का ि


नाव आता यहता हैं । वैऻाननक लसद्ाॊत की भाने तो अफ मह रोकतन्ि की सॊजीवनी वारी दवाई बी जहयीरी हो गई हैं

। इसलरए अफ ि


नावी प्रकक्रमा को अऩडिे कयना फह


त जरूयी रग यहा हैं अन्मथा टदन-प्रनतटदन रोकतन्ि ि


नावों के जरयमे जहय

ननगर यहा हैं जो स


साइड व अऩने ऩैंयो ऩय स्वमॊ क


ल्हाड़ी भायने के सभान हैं ।

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


रोकतॊत्र ऩय रगा च



नावी-ग्रहण खत्भ ह



आ!


खफय:- ऩाॉि याज्मो भें ववधानसबा ि



नाव खत्भ ह


मे |

सॊवैधाननक सच्िाई तो मही है कक वोि डारना जनता का अचधकाय है व उसी के कायण रोकतॊि िीका ह


आ है जफकक

फदरी ऩरयष्ट्स्थनतमों व ष्ट्जस तयह से ि


नाव के सभम भें खफये आती है, फमानफाजी होती है, लभडडमा एवॊ अन्म सॊसाधनों

के भाध्मभ से भाहौर फना रोगो को भ्रलभत ककमा जाता है, झ


ठे खमारी ऩ


राव के जमकायो, बफना मोजना व ऩालरसी के
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