biranishri
(Biranishri)
#1
िाॉद-ताये तोड़ राने के दावो, अश्रीर, गारी-गरौि व बड़काऊ फमानफाजी व व्मष्ट्क्तवादी छीछा-रीदय औय सबी अऩयाधों
को ि
ु
नाव के नाभ ऩय ष्ट्जस तयह से ढक टदमा जाता है उसे "ग्रहण" के अरावा औय क्मा कहा जा सकता है?
भीडडमा की फात कयी जामे तो सफसे ज्मादा अनऩढ़ , गवाय व सता को जफयदस्ती ककसी का ग
ु
राभ फनाने का िेहया
इन्ही का नजय आता है | मह ककसी स्वाथत, रारि मा इसभें घ
ु
से दो-िाय िेहयो, सॊगठनो मा पजी वारे नाभो की वजह
से ही क्मों ना हो ऩरयणाभ तो मह नहीॊ देखता है |
ऩाॉि याज्मो भें ि
ु
नाव के फाद सयकाये (तथाकचथत) गटठत हो गई ऩयन्त
ु
चियाग रेकय ढ
ू
ढने ऩय बी आऩको फड़ी भ
ु
ष्ट्श्कर
से एक आधा ही कोई िैनर, अखफाय व ऩबिका लभर ऩामेगी ष्ट्जसभे छाऩा मा फतामा गमा हो की "जनता की सयकाय"
का गठन हो गमा |
इस ऩािी की सयकाय, उस ऩािी की सयकाय व इससे बी ननिे दज
े
की सोि का बौंडा भजाक कयते ह
ु
मे पराने व्मष्ट्क्त
की सयकाय फन गई को उस तयह टदखा -टदखा कय व गा-गा कय रोगो के टदभाग भें जफयदस्ती घ
ु
सामा जाता है जैसे
एक झ
ू
ठ को सि साबफत कयने के लरए उसे रगाताय ऩिास से ज्मादा फाय गामा जाता है |
इसी तयह अऩयटहत व याजनैनतक ऩाटितमों के भाध्मभ के भाध्मभ से फॊधी फनी सय काय के नेतागण, ि
ु
नाव से ऩ
ू
वत
दरफदर
ू
रोग, हाये ह
ु
मे प्रत्माशी, आऩयाचधक तत्व उस एक व्मष्ट्क्त का भोखोिा रगाकय ऩ
ु
लरस ऩय उसकी सयकाय का
योऩ जाड़कय ष्ट्जस तयह अऩनी खोिी -िवनी योड ऩय िराता ह
ु
आ टदखता है व ककसी ग
ु
राभी की झनझनाहि से कभ
नहीॊ.......
ऩाॉि ववधानसबा ि
ु
नावो के ऩरयणाभ को गणणतीम जोड़-फाकी से देखे व याजनैनतक दर की ववशेष सोि वारे सभ
ू
ह को
खेभो भें फािे तो ऩता िरता है कक सफक
ु
छ वततभान भें कामतयत सॊवैधाननक जनता के प्रनतननचधमों व सता के कामत के
तयीको से जनता नायाज थी व उसभे एॊिी-गवनतभेंि वोि डारा | मह वोि कौनसा सॊगठन रे गमा मह उसकी यणनीनत
का टहस्सा व बववरम भें उसकी काम तकयन े की सोि का आकरन बय था |
इस ऩ
ू
यी एॊिी-गवनतभेंि सोि को ककस ित
ु
याई से एक मा दो-तीन ऩती वारे व्मष्ट्क्त के ऩीछे छ
ु
ऩा डारा मह अऩने आऩ
भें सच्िाई के प्रकाश ऩय ग्रहण की कारी छामा का बववरम ऩय प्रश्न चिन्ह है | मटद एक व्मष्ट्क्त इतना प्रबावशारी
होता तो ऩाॉिो याज्मो भें उसके सॊगठन से िमननत आमे रोग ही जीतते मा फह
ु
भत भें होते ऩयन्त
ु
ऐसा ह
ु
आ नही........ॊ
मह सि एक व्मष्ट्क्त को आगे रेकय िर यहे सॊगठन के लरए बी फह
ु
त फड़ा सन्देश है | मटद उसने रोगो की सोि को
इसी तयह िरने टदमा व वादों औय आभ काभ का पामदा ऩरयणाभ के रूऩ भें नहीॊ टदमा तो मह "एॊिी-गवनतभेंि" सोि
उसका बी तख्ता ऩरि कय सकती है |
ि
ु
नाव भें वोटिॊग से ऩ
ू
वत जो रोग एक एक -द
ू
सये ऩय ज
ु
फानी फाण िरा यहे थे , जानवयो की ऩदववमाॉ दे यहे थे व
सभस्माओ की जड़ फता यहे थे वे ि
ु
नावी ऩरयणा भ के फाद ष्ट्जस तयह से लभर यहे है व भीडडमा भें भ
ु
स्कयाती पोिो
णखॊिवा यहे है मह व्मष्ट्क्तवाद के यॊष्ट्जश, सत्तारोर
ु
ऩता, स्वाथत, के दृष्ट्स्िकोण से सही है ऩयन्त
ु
जो दोषायोऩण ह
ु
मे उन्हें
गड्ढो भें डारना भतरफ ऩ
ू
यी रोकताष्ट्न्िक व्मवस्था को गढे भें धकेरने जैसा है | इस वोि डारने वारी जनता के उप्ऩय
मह कहावत िरयताथत कयना होता है कक वक्त आने ऩय "गधे को फाऩ" कैसे फनामा जाता है |
सोलसमर भीडडमा की फात कये तो महॉ प्रोपेसनर के रूऩ भें खडी ह
ु
ई व्मष्ट्क्तवादी सेना ने सॊदेशो की बाषा का प्रारूऩ
ऐसा फना डारा की ..... गरती से आऩ ने एक को बी राईक, पॉयवडत मा शेमय कय टदमा तो आऩ के उप्ऩय जफयदस्ती
ककसी एक याजनैनतक मा व्मष्ट्क्त का लसऩेसाराय होने का कीिड़ ऩ
ु
ये प्रोपाइर के उप्ऩय ि
ु
नावी स्माही के रूऩ भें चिऩक
गमा |
हभने अऩने 25 - 11 - 2016 के वैऻाननक-ववश्रेषण "अरोकताॊबिक तरयके से 500 व 1000 के फड़े नोिों को फॊद कयने व