biranishri
(Biranishri)
#1
21 वी सदी का दौय है, जो सभम की िार के साथ िरा जामेगा ऩयन्त
ु
ईन्सान के सोिने का क्रभ वैसा ही यहेगा जो ऩह
रे था औय आज है | मह तो लसपत सोिने के स्तय की सीभा का अन्तय है, जो हभें इस फात का छदभ आबास कयाता
है कक सभम के साथ रोगो के आदशत औय सोि फदर यही है |
इसी आदशत औय सोि को आधाय भानकय स
ू
िना-तॊि (अखफाय, सभािय िैनर, न्म
ू
ज़ वेफसाइि, ऩबिकाएॉ, येडडमो इत्माटद-
इत्माटद) के भाध्मभ से ऩि व रयऩोिो के जरयमे वस्त
ु
ष्ट्स्थनत को सफके साभने राने वारा सभ
ू
ह भीडडमा के नाभ से प्रि
लरत है | इस सभ
ू
ह ने ऻान औय तकनीक के सभन्वम से साभाष्ट्जक स्तय ऩय जनता की सोि के स्तय को फढ़ाने का
वो अकल्ऩनीम कामकतकमा व कय यहा है ष्ट्जससे व्मवस्था का प्रत्मेक ऺेि इससे ज
ु
ड़ता िरा जा यहा है | इसके बफना को
ई बी व्मवसाम उच्िाई तक नहीॊ ऩह
ु
ॊि सकता औय न ही व्मष्ट्क्त धन, वैबव, शोहयत एवॊ फदराव के लशखय तक ऩह
ु
ॊि
सकता है |
इसकी इसी ताकत के कायण आज प्रत्मेक व्मष्ट्क्त, सॊगठन, सभ
ू
ह इसके इस्तेभार के लरए एक से फढ़कय एक मोजना फ
ना यहा है | इसके इस्तेभार की खीॊितान को देखकय ऐसा रगता है कक कोई फड़ी जॊग िर यही है | इस जॊग भें नैनतक
- अनैनतक,जामज-नाजामज, लभिता-द
ु
श्भनी, शारीनता-झगड़े, लशरिता-गालरमाॉ, भमातदा-अभमातदा, ़ान
ू
नी-गैयकान
ू
नी,
वास्तववकता-कल्ऩनाशीरता,प्रथाएॉ-क
ु
रुनतमाॊ, यैलरमाॊ-बीड़, सौन्दमतता-नननता, साभान-कायागाय, भाराए-प्रनतकाय, असलरमत-
आडम्फय, सि-झ
ू
ठ, उऩकाय-शोषण, िरयि-अश्रीरता, बाषण-उऩदेश, भौन-गाने, काि
ू
तन-पोि
ु
ए, दमा-क्र
ू
यता, ईनाभ-
सजा, ईज्जत-फरात्काय, नजाकत-वेश्माव
ृ
ष्ट्त्त,जीवनदान-हत्मा, दान-र
ू
ि, ईभानदायी-िोयी, टहम्भत-डय, आटद-आटद के
दाॉव ऩेि रगामे जा यहे है |महाॉ आकय सही औय गरत के पैसरे ऽत्भ हो यहे है |
व्मवसाटहक तयीको भें बी भीडडमा के इस्तेभार के लरए ननि ेसे उप्ऩय तक श्
ृ
ॊख्रा फन गई है | इन श
ृ
ॊखराओ के भाध्म
भ से
सभ
ू
ह व सॊगठन भार फेिन,े ि
ु
नाव ष्ट्जतने, सभाज भें उत्थान, अन्माम को ऽत्भ कयने, झ
ू
ठ का ऩदात हिाने आटद-आटद
कामों के लरए
भीडडमा का स
ु
व्मवष्ट्स्थत तयीके से प्रमोग कयते है | ष्ट्जसभे भीडडमा भैनेजयों, प्रवक्ताओॊ, सराहकायों, के भाध्मभ से िेहये
की बॊचगभाओॊ औय फोरने के सभम सीभाओॊ को तम कयके अऩने ऩऺ भें भाहौर फना यहे है |
इन सॊगठनों से आगे देश व सबी के लरए इसका इस्तेभार सभम के अन
ु
रूऩ कैसे हो, इसका तयीका रोकतॊि भें जनतॊि
का दाॉवकहराता है | मह दाॉव भाननीम यारिऩनत भहोदम को दस्तावेज के आधाय ऩय प्रभाणणत कय साॊकेनतक बाषा के
रूऩ भें बेजा जा ि
ु
का है |
जनतॊि के इस दाॉव की श
ु
रुवात याजऩथ ऩय नमे बवन के साथ होगी | इस बवन को भें कामत के आधाय ऩय "जनसॊदेलश
का" के नाभ से सम्फोचधत कय यहा ह
ु
ऩयन्त
ु
मे नाभ रोगो की याम के अन
ु
रूऩ क
ु
छ बी हो सकता है | क
ु
छ भाह ऩ
ू
यव्
ही यामसीना टहर ऩय एक भीडडमा केंर की श
ु
रुवात ह
ु
ई ऩयन्त
ु
इसके कामत औय उद्देश्म को देखे तो लसपत इसके कामतऩालर
का का एक टहस्सा होने काआबास होता है | जफकक भीडडमा के रोकतॊि भें व्माऩक मोगदान के लरए इसे सॊवैधननक िहे
या फनाकय ववशेष रोकताष्ट्न्िक अचधकाय देने की आवश्मकता है | ऐसा कयना रोकतॊि के भालरकों भें ववध्मभान सवातचध
क ऻान, बावना एव ॊदेश के भहान रोगो की सोि के अन
ु
रूऩ ऩ
ू
णततमा उचित है, जो भीडडमा को रोकतॊता का िौथा स्त
म्ब कहते है |
अन
ु
सॊधाननक, गणणतीम, ताककतक, वैिारयक औय सैद्ाॊनतक ववश्रेषण कये तो मह ननरकषत ननकरता है कक आजतक भीडड
मा का कोई िेहया ही नहीॊ है | इसका न होना हभेशा हभाये उज्जवर बववरम के यस्ते को क
ु
ॊद कय देता है औय कई सभ
स्माओ का उऩाम होते ह
ु
मे बी हभ भ
ू
क दशतक फने यह जाते है | सभम के साथसाथ द
ु
फाया एक जैसी सभस्मा का साभ
ना कयते है औय एक द
ू
सये ऩय आयोऩ