यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
आभ जनता भें आयऺण के णखराप जफयदस्त तीखी प्रनतकक्रमा देखने को लभरी 100 भें से 200 प्रनतशत ववश्रेषकों एव ॊ

इनतहासकायो ने इसे यारि-ववयोधी व सभाज भें अशाॊनत पैरने का कायण फतामा | इन सबी के फावज


द व साभान्म सोि

एवॊ टदर को बफठा देने वारी, आखो से अश्


धया फहा देने वारी एवॊ शायीरयक श


धधता का झिका रगाने वारी घिनाओ

के फाद बी "ववऻान" के आधाय ऩय हभें कहना ऩड़ यहा है कक मे आयऺण की आग अफ यारिीमता के टहत भें है |

आयऺण ककस प्रकाय हभायी व्मवस्था के लरए जहय है उसके कई ताककतक एवॊ भालभतक कायण प्रभाण सटहत आमे हभ उन

सबी को भानत ेहै ऩयन्त


सभम के इस दौय भें जो कयवि रे री वो यारिीमता को फरवती फनाती है | इसे म


सभझे की

आज जो ऩािीदाय / ऩिेर आयऺण की भाॊग कय यहे है उन्होंने 30 वष त ऩ


वत आयऺण के ववयोध भें फह


त फड़ा आॊदोरन

िरामा था क्मों की उस सभम "खाभ जानतमों" को आयऺण टदमा गमा था | उस वक्त बी कयीफन 100 रोगो की भौत



ई थी |

हभ बी आऩ रोगो की तयह सभझने रगे है कक आयऺण हभयी व्मवस्था, रोकतॊि, साभाष्ट्जक सदबाव के लरए फह



खतयनाक है ऩयन्त


अफ "ववऻान" कक बाषा भें जफ एक दवाई को फाय-फाय मा रगाताय रे तो वो पामदे के साथ-साथ



सये साइड इफ़ेक्ि डारती है जो सभम के साथ ज्मादा न


कसानदामक होने रग जाती है | इसी प्रकाय आयऺण के लरए

योज योज फन्द, यैलरमाॊ. तोड़-पोड़, ऩ


लरस दभन सबी न


कसान दामक है औय इनके रगाताय जायी यहने से जो साइड

इफ़ेक्ि होंगे वो हभाये लरए पामदेभॊद है | हभ उन्ही पामदों का ष्ट्जक्र कय यहे है |

आयऺण के नाभ ऩय रोगो कक सोि ववकलसत ह


ई भेया, भेये फच्िो का, भेयी फीफी का, भेये ऩरयवाय का, भेये रयश्तेदायो का

इससे आगे फढ़कय भेये सभाज का ह


आ है | राखो रोग एक साथ ज


ड़ गमे व योड ऩय उतयने रगे ष्ट्जसे क


छ भहीनो ऩ


व त

याजनैनतक ऩाटितमा रोकतॊि का अचधकाय फताती थी जफ वे फन्द कयाते थे | इसी प्रकाय आयऺण के नाभ ऩय बफहाय भें



भी, याजस्थान भें ग


जयत, हरयमाणा भें जाि, भहायारि भें भयाठा, आॊध्रा औय तेरॊगाना भें कम्भा व येड्डी, कनातिक के

वोकलरॊगा आटद-आटद आॊदोरन कय यहे है |

ववश्वाश यणखमे सभम कक िार ऩय औय सोि के फढ़ते दामये ऩय बववरम भें इस प्रकाय के 250 - 300 सॊगठन से ज्मादा

इस देश भें नहीॊ फनेगे | ष्ट्जस टदन ककसी एक भ


द्दे (जैसे - फरात्काय, कारा धन, फेयोजगायी, घ


सखोयी आटद) ऩय मह

250 सॊगठन एक हो गमे उस टदन "यारि" जीववत हो जामेगा | सॊसद के ख


रने व फन्द होने का सभम दामया ही भीि

जामेगा कपय वो कान


न फनेगे जो जनता िामेगी न कक याजनैनतक ऩाटितमो के नेता |

कई रोग सभझते है इससे यारिीम सम्ऩनत को जफयदस्त न


कसान ह


आ ऩय सभझने वारी फात मह है कक ष्ट्जस जनता

के प्रनतननचध ही कयोडो रुऩमे सॊसद को ठऩ कयके ऩानी भें फहा सकते है तो कान


न क


छ नहीॊ कय ऩता तो इन

प्रनतननचधमों कक भालरक "आभ-जनता" को उनसे कभ ऩैसो कक फफातदी को ककस कान


न से योका जा सकता है |



लरस के दभन, राठीिाजत व रोगो कक वऩिाई एवॊ कफ्म


त के डय से मह रुक जामेगा तो फह


त फड़ी ना सभझी है | इसका

जीववत सफ


त अहभदाफाद भें ऩिेर आन्दोरन कक यैरी के भाि एक सप्ताह के अन्दय ग


जयात भें ब्राह्भण-सोनी सभाज

न े आयऺण के लरए अऩनी आवाज फ


रन्द कयते ह


ए यैलरमाॊ ननकरी है | सयकाय द्वाया ऩ


लरस से ऩ


लरस कक जाॊि व



लरस कक रयऩोित से ही ऩ


लरस को सजा का हाईकोित का तयीका अग्रॊ ेजो के ज़भाने वारे कान


न के अबी बी िरने का

अहसास कयाते है |



छ वषत ऩ


वत जमऩ


य भें डाक्ियों कक हड़तार से तॊग आकय जनता ने अऩने व्मवसाही प्रनतरठानो के आगे डाक्ियों के वहा ॉ

न आने व उन्हें साभान न देने के जो नोटिस रगामे वो आऩ ब


रे नहीॊ होंगे........ सभम के साथ ऩ


लरस बी उसी टदशा

भें फढ़ यही है क्मों कक एक नहीॊ िाय - िाय शयेो की ताकत भामने यखती है ऩयन्त


जॊगर भें औय मटद शेय नयबऺी हो

जामे तो उसका क्मा होता है आऩको तो सववधान के दामये वारी स्क


र की ककताफो से ऩहरे ही ऩठामा व सभझामा जा

ि


का है |
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