यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
साभने यख यहे है ष्ट्जस ऩय यारिऩनत -बवन की सीर रगी है व अचधकारयमो के हस्ताऺय है | इसके अनतरयक्त इसकी

करय इभेज है ष्ट्जससे आऩ इसे आसानी से सभझ सके |

हभाये ऩास फड़े स्तय ऩय िराने के लरए सॊसाधन व नेिवकत नहीॊ है इसलरए एक -एक कदभ आचथतक रूऩ से स


दृढ़ होते

होते आगे फढ़ा जामेगा | इससे ज


ड़ने व अऩने मोगदान के लरए आऩ हभसे सॊऩकत कय सकते है |

नोि:- इस ऩोस्ि को आगे से आगे शेमय कय ताकक आभ रोगो को एक ऩािी से द


सयी ऩािी व कपय द


सयी ऩा िी से

ऩहरी ऩािी के िक्रव्म


ह से आगे ननकर सोिने का भागत लभरे | हभाया उऩाम ऩसॊद नहीॊ आमे तफ बी कोई फात नहीॊ

कभ से कभ आऩ मा देश का कोई बी नागरयक इससे बी अच्छा उऩाम साभने रेकय आमेगा |

सत्माऩन


14 - 01 - 2020 - खफय:-जष्ट्स्िस िेराभेश्वय सटहत आठ हष्ट्स्तमों ने सॊववधान के काभकाज का आत्भ-ववश्रेषण


कयने की अऩीर, अफ उच्ितभ न्मामारम के ब


तऩ


वत भ


ख्म न्मामाधीशों सटहत कई सम्भाननत रोगों ने सॊववधान के

सभझने की फात कयी है।

15 - 08 - 2021 - आज के स्वतन्िता टदवस की फधाई देना फेईभानी होगा क्मोंकक स



प्रीभकोित के



ख्मन्मामाधीश ने सॊसद भें फनामे जा यहे कान


नो को अनैनतक व अभमातटदत के दामयें भें खडा कय टदमा । आऩके

वैऻननक-ववश्रेषण ने श


रू से कहा कक कान


न फना देने से व्मवस्था नहीॊ फनती अवऩत


कान


न फनाना बी व्मवस्था का

एक टहस्सा हैं ।

सॊसद भें बफर ऩारयत ककए जाने के तयी़ों ऩय सीजेआई ने उठामा सवार, कहा- ना फहस होती है, ना सफ क


छ स्ऩरि

होता है, ऩता नहीॊ ककस भकसद से ़ान


न फनामा जाता है?

बायत के भ


ख्म न्मामाधीश एनवी यभना ने यवववाय को सॊसदीम फहस भें चगयते भानकों औय ववधानमका द्वाया फनाए गए

कान


नों ऩय मह कहते ह


ए अपसोस जतामा कक कान


न फनाने वारी सॊस्था द्वाया फनाए गए कान


नों भें स्ऩरिता का

अबाव है। सीजीआई ने कहा कक ऩहरे कान


नों ऩय ििात औय वविाय-ववभशत ककमा जाता था। अफ हभ कान


नों को देखते

हैं औय कान


नों भें फह


त सायी खालभमाॊ औय अस्ऩरिताएॊ हैं। कान


नों भें स्ऩरिता नहीॊ है। हभ नहीॊ जानते कक कान



ककस उद्देश्म के लरए हैं। के भ


ख्म न्मामाधीश ने अपसोस जताते ह


ए कहा कक इससे सयकाय को न


कसान हो यहा है औय

जनता को फह


त अस


ववधा हो यही है , साथ ही भ


कदभेफाजी बी फढ़ यही है। ऩहरे , सॊसद कान


नों को ऩारयत कयने से

ऩहरे फहस औय ििात कयती थी। इसका भतरफ था कक अदारतों के लरए कान


नों की व्माख्मा कयना आसान था। इसका

एक कायण मह बी है कक कान


न फनाने भें मोगदान देने के लरए अच्छे वकीर सावतजननक जीवन भें नहीॊ आ यहे हैं।

ऩहरे अरग-अरग, सॊसद भें ववलबन्न कान


नों ऩय ििात ककमा जाता था। इसलरए कान


न की व्माख्मा मा कक्रमा न्वमन

कयते सभम अदारतों का फोझ कभ होता है। इसलरए ववधामी टहस्सा स्ऩरि था कक वे हभें क्मा फताना िाहते हैं। वे

ऐसा कान


न क्मों फना यहे हैं। अफ मह खेदजनक ष्ट्स्थनत है , अफ हभ कान


न को खेदजनक ष्ट्स्थनत के साथ देखते हैं।

अफ हभ ऐसे कान


नों को देखते हैं ष्ट्जनभें फह


त सी क लभमाॊ हैं, औय कान


न फनाने भें फह


त अस्ऩरिता है। कान


नों भें

स्ऩरिता नहीॊ है। हभें नहीॊ ऩता कक ककस उद्देश्म से ऐसे कान


न फनाए जा यहे हैं जो फह


त अचधक भ


कदभेफाजी, अस


ववधा

औय सयकाय को न


कसान औय जनता को अस


ववधा ऩैदा कय यहे हैं। जफ सदन भें फ


वद्जीवी औय वकीर नहीॊ होते तो

मही होता है।
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