यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
भॊगर ग्रह के अन


सन्धान व द


सये देशो के उऩग्रह अॊतरयऺ भें बेजने वारे चगने - ि


ने देश भें शालभर 21 वी सदी के

बायत की रेिरतीपी प्रोजेक्ि वकत के लरए भहश


य डडपेंस रयसित एण्ड डवरऩभेंि आगेनाइजेशन (डी. आय. डी. ओ.) व

नमे नमे वैऻाननको व इॊजननमयो की कभी व अऩने ही कभतिारयमों के ववदेश िरे जाने की सभस्माओ से ज


झ यहे

इॊडडमन स्ऩेस रयसि त(इसयो) के अन्दय प्रायम्ब भें साख ननभातण के सभम कामत ककमा |

इनका कामत वैऻाननक ऩद व बी प्रफॊधक के रूऩ भें था | इसलरए याजनीनत के ऩऺ - ववऩऺ की गणणतीम ऩहर


ओ,

सयकायी तॊि के गरा देने वारे फाफ


चगयी यसामनो व जानतवाद के जैववक साभाष्ट्जक जहय के फीि 1974 कपय 1998 भें

ऩोकयण भें सपरता के साथ काभ का रोहा फनवामा व भीडडमा के प्रायॊलबक दौय व प्राइवेि खफयी िैनरों के अबाव भें

नीर गगन की ववशार व अॊतहीन काॊिेदाय वामयो व दीवायो से न फि सकने वारी सीभाओ के सभान सोि व बववस्म

की द


यदलशतता यखने के कायण आसभान भें लभसाइरों की जगभगाहि से लभसाइरभैन, बायत यत्न व यारिऩनत के ऩद ऩय

अच्ि


क दाव औय सपरता का झॊडा पहया के 27 ज


राई 2015 को 12 टदन, 9 भहीने 83 वषत के जीवन िक्र को ऩ


या

कयके जभीनी भािी भें भीर धालभतक ऩाॊि तत्वों को भ


क्त कय शायीरयक भामाजार से ऩय यारि व सभाज के लरए

फौवद्क, जीवनशैरी व कामतशैरी की छाऩ सभम के िेहये ऩय उकेयते ह


ए बववस्म का नमा द्वाय खोर गए |

कराभ सय उन चगने - ि


ने िचितत िेहये एवॊ रोकवप्रम िेहयों भें से एक थे ष्ट्जनके दभ ऩय हजायो वषो ऩ


याने ऩ


ये



ष्ट्स्रभ सभाज ऩय आतॊकवादी को िस्ऩा नहीॊ कय सकते थे | मह यारिीम दृष्ट्श्िकोण से ज्मादा सिीक व बववस्म भें

उज्जवर एवॊ प्रगनतशीर इस्राभ के भागत ऩय िरकय सवतवप्रम एवॊ सवतधभो भें भान्म एवॊ उस ऩथ ऩय िरने के लरए

आत्भा को झॊझोय देने वारे थे जो बी टदन भें ऩाॊि फाय नभाज व अन्म लसद्ाॊतों के अन


ऩारन के ही प्रायॊलबक लशऺा से

आमा था |

फच्िो से प्रेभ व लशऺा देने की ररक उन्हें जीवन बय म


वा फनामे यखे ह


ई थी क्म


कक इस ऻान का भभत होना की जफ

व्मष्ट्क्त ऩढ़ने जाता है तो व लशऺक को ऩढ़ाता है औय जफ वह लशऺक फनता है तो ख


द लशऺक फनता है तो ख


द ऩढ़ता

है सफके लरए सभझ ऩाना फह


त भ


ष्ट्श्कर है |

आचथतक तौय ऩय उनके ऩास अष्ट्न्तभ सभम भें भाभ


री सी यकभ थी वो बी ऩहरे स्वामत सॊस्थाओ को दान के लरए

अचधक


त कय ि


के थे | धन रोर


ऩता के दौय भें अयफो व खयफो फनाने की अन्धी भेयाथन दौय भें शालभर ह


ए बफना

कयोडो रोगो के टदर भें जगह फना गमे | ऩैसा लसपत जीवन जीने का भाध्मभ है उसका रक्ष्म नहीॊ........... मही फात

रोग ऩ


यी ष्ट्जॊदगी खित कयके बी नहीॊ सीख ऩाते है |

डॉक्िय अधद


र कराभ सदैव मह कहते यहे की फड़ा सोिो तो जीवन भें क


छ नमा कय ऩाओगे | महाॉ फड़े के दो अथत

ननकरते है ऩहरा सोि को रेकय है इसे हभ साभाष्ट्जक ऩरयदृश्म के भध्म भाऩने की स्के र ऩय दस स्तय ऩय सभझ

सकते है | इसके कायण डा कराभ कट्टय इस्रालभमों के जार भें न पस ऩामे औय यारिीमता को जीवन बय साथतक यखा

| द


सया अथत बववस्म के फाये भें सफके लरए फेहतय सोिना जो सभम के अॊतयार एवॊ द


सयी सायी ऩरयष्ट्स्थमों को उनके

अन


रूऩ कभ एवॊ ज्मादा तम कयके गणना कयनी ऩड़ती है व प्रामोचगक बाषा भें याकेि छोड़ने से ऩहरे सभम को सेकॊडो

एवॊ लभनिों भें घिते ह


ए देखा व सभझा जाता है औय कामत को भ


तत रूऩ टदमा जाता है |

मह एक ववषेश प्रकाय का तयीका है जो अववरकाय के फाद उसे जनता तक ऩह


ॉिाने को बी सैद्ाॊनतक एवॊ ववऻान के

अन


रूऩ स


ननलशत कयता है | इसी लसद्ाॊत के आधाय ऩय भैने अऩने स्वत् ि


िने वारी लसरयॊज के अववरकाय ( 2004 ) को

सयकायी प्रभाणणकता ( 2006 ) के प्रभाण-ऩि के ऩश्मात ्उसे जनता तक ऩह


ॉिाने का तयीका व रक्ष्म ऩि के भाध्मभ से

उन्हें बेजा | यारिऩनत ऩद की व्मस्ता यहते ह


ए बी त


यॊत स्वास्थ्म भॊिारम को बेजकय कामतवाही कयने को कहा औय
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