यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
हभ तथ्म, प्रभाण, कान


न, भमातदा, वैऻाननक दृष्ट्श्िकोण के आधाय ऩय मह फता यहे है की कैसे शीषत ऩद ऩय आसीन

भाननीम भहाभटहभ यारिऩनत भहोदम (वततभान ऩदासीन श्ी प्रणफ भ


खजी) ने ककस प्रकाय सॊववधान का गरा घोि ऩ


यी

व्मवस्था की धष्ट्ज्जमाॉ उड़ा डारी जो आगे कयीफन 125 कयोड़ बायतीम को यसातर के ककस गड्डे भें ऩह


िामेगी उसका

आकरन ही बमावह है |

यारिऩनत बवन भें नई कपल्भ bani "ऩीक


" की स्ऩेशर स्कैननॊग मा रॉष्ट्न्िॊग कयी औय उसे यारिऩनत भहोदम ने देखा वो

बी फॉरीव


ड भें स


ऩयस्िाय कहे जाने वारे अलबताफ फच्िन की भौज


दगी भें व इससे ज


डी खफयों औय पोि


ओ को

सावतजाननक रूऩ से प्रसारयत ककमा गमा | अलबताफ फच्िन इसलरए भौज


द नहीॊ ह


ए की उन्हें कई यारिीम अवाडत लभरे है

इसलरए साभाष्ट्जक व यारिीम जवाफदेही ननबाई फष्ट्ल्क उन्होंने इस कपल्भ भें ऩारयश्लभक के साथ काभ ककमा है |

सॊववधान के अन


साय यारिऩनत भहोदम की कोई ननजी ष्ट्जॊदगी नहीॊ होती है इस कायण ही उनके उप्ऩय बायत की ककसी

बी अदारत भें भाभरा दजत नहीॊ हो सकता व ऩ


वत के िर यहे भाभरे बी स्थचगत हो जाते है | इस आधाय ऩय कान


नन

व्मष्ट्क्त्तगत तौय ऩय कपल्भ देखना व ऩद के साथ भीडडमा भें प्रसारयत कयना व्मवसाम / स्वाथ त/ व्मष्ट्क्तवाद का टहस्सा

है जो आगे भ्रस्िािाय के दरदर की औय रे जाता है | वततभान भें ऩद ऩय आसीन श्ी प्रणफ भ


खजी के भाननीम ऩहर


इन्शान होने का लरहाज यखा जामे तो वे अऩने कभये भें क्मा देखे उसे छोड़ सकते है ऩयन्त


महाॉ भाभरा यारिीम स्तय

ऩय भीडडमा भें प्रसायण का है |

सॊववधान के अन


साय "यारिऩनत" कपल्भ देख सकते है ऩयन्त


उसका आधाय यारिीम अवाड तभें सम्भाननत कपल्भ होनी

िाटहए ऩयन्त


महाॉ तो कपल्भ वो है जो लसनेभगयो तक ही नहीॊ ऩह


ॊिी | कान


नन यारिऩनत सावतजननक रूऩ से कपल्भ देख

सकते है उसके बी दो ऩहर


फनते है पर यारिीम अवाडत कभेिी वो कपल्भ रेकय उनके ऩास जामे औय उनसे अवाडत हेत


सराह का अन


योध कये द


सया कपल्भ अवाडत कलभिी के सबी सदस्मों के साथ देखे ताकक उनके ऩदो , इज्जत की भमातदा

फानी यहे जो सॊववधान आधारयत स्थावऩत व शऩथ के तहत कान


नन फॊधी है व ऩ


यी व्मवस्था की श्


ॊखरा है | ककसी

वववाद मा नई ऩहर का भाभरा कपल्भ भें हो तफ बी ननमॊिण व साभाष्ट्जक भाहोर फनामे यखने के ऩरयद्श्म से केवर

केंर सयकाय ही उस कपल्भ को रेकय यारिऩनत के ऩास जामे तबी तकत सॊगत व कान


नन सही होता है |

मह कपल्भ देखकय यारिऩनत ने अफतक "बायत-यारि" द्वाया टदए फॉरीव


ड के लरए काभ कय यहे राखो कराकयों को

अवाडत, ववजेताओ के गवत से प


रे सीने, नैनतकता, कामत के प्रनत उनके सभऩणत व दऺता के साथ घोय क


ठयागात कया है

व कपल्भो की बाषा भें कहे तो ऩयदे ऩय ऩदो के कराकायों का ऩदो के ढके भमातदा के आॉिर भें ही सावतजननक फरात्काय

कय डारा |

अलबताफ फच्िन को कई यारिीम व अॊतयातरिीम अवाड तलभरे, उन्होंने कई कपल्भो भें अलबनम कया हभ उस गरयभा, आदय

एवॊ सम्भान कयते है ऩयन्त


कान


न सवेधाननक तौय ऩय वो कपल्भ रे जाकय टदखमे मा अभमातटदत व ऩ


यी व्मवस्था को

ठेंगा टदखने जैसा है िाहे वह व्मवस्था फॉरीव


ड की ही क्मों ना हो |

आने वारे बववरम भें कोई बी ज्मादा ऩैसा देकय अलबताफ फच्िन को कपल्भ भें काभ कयवाएगा तो क


छ बी टदखाए वो

भान्म हो जामेगा अथाततत ऩैसे के साभने अफ तक के सबी हीयो-टहयोइनो का काभ लसपत ध


एॊ का ग


धफाय फनके उड़ जामेगा

| जानतवाद से ज


ड़ा कोई भ


द्दा ह


आ व झगड़े, दॊगे, तोड़-पोड़ हो गए तो सीधे ख


न के छीॊिे यारिऩनत-ऩद ऩय चगयेंगे क्म


की

उन्होंने ऩहरे देख कय भ


क रूऩ से वैिारय क अन


भनत दी है | क्मा मह अवाडत देने वारी सायी सयकायी व गैय सयकायी

सॊस्थानों के लसय मा टदभाग ऩय फन्द


क यखने जैसा नहीॊ होगा ष्ट्जसभे फन्द


क यारिऩनत -बवन, गोरी यारिऩनत-ऩद व

टिगय ऩ


ॊजीवाद है |
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