स्वर्णिम दर्पण
98072 88958 गोरखपुर, उरदेश सόरता सरस य क रीढ़ पर रखा होता है पूरा घर बखरने और बनने के बीच कतनी बार टूटती ह यां..... जन्म क पीड़ा स ...
ǹेम के Ϗǹयतम ेम के यतम तु मै आँख का काजल बना लूं। तुम चलो तो राह अपनी.... धूप जो तुमको लगे, मै ह को आंचल बना दूं...! तेरे दुख क ...
अΥभजीत भȸ --अभजीत भ ऐ मानव, अब रोक भी द न, तर और वकास, के नाम पर, कृ त का दोहन। कल-कारखान के धुओं म, लोग के दम घुंट रहे ह, जंग ...
दी संतोष .......✍ संतोष।।। हफ़ के ज से एहसास के ह को हटाता कै से जब, अब भी ज़दा ह ल तेरे ख़त के तुम ही कहो भला उसको म जलाता कै से? ...
9621203470 चंलोक के, इकौना ावी (उ ) डॉ संƷा 'ǹगाथ' डा संा 'गाथ ' बड़ी कृ त ँ श क जो न तांडव करते ह, पपात रहत जो अमन को झझोड़ सीना ...
7985752901 नयागांव सीतापुर उर देश नीरज शमाǢ वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई। भारत क शौय कहानी इस दुनया ने है गाई, वीर ने ाण गंवा ...
बर नगर नदया पम बंगाल (741127) सώवता धर ा यह जीत है?या हार? ।। मानव ही मानव का कर रहा संहार । हां यू तो जीत ही है दानवता क मानवता ...
अंबाह जला मुरैना डॉ एल एस ώकरार भूतेर है महाबली, देव के सरताज !! मानव पर सकं ट बड़ा , आए बचाओ लाज !! भोले शंकर कहते सब, नंदी वाहन ...
झरयागादी,गरडीह रेलवे ेशन जला-गरडीह,झारखंड धीरज कु मार पाठक हम जानते थे क, हमारी भी कहानी के , आखरी पे, आँसुओं से लखी जाएगी, और फ ...
आरती ύ ̊वेदी 'गौरी' झूठा हम हँसते ह न समझोगे ार तु से ही करते ह न समझोगे । कम जीते ादा मरते ह न समझोगे ॥ आँखे भी ह तु समपत अब इन ...
मोह͂द फ़ै जान दाθनश सदय म धूप क दुआएं हो रही बरसात आते ही छत बनाया जा रहा शहर म सब खैरयत से ह गांव म ये दखाया जा रहा है दूसर का घ ...
भोपाल मदेश अचǢना जोशी बड़े हालात खराब है चलो कु छ कमाई के साधन ढूंढते ह ,हम शानो म जीवन तलाशते ह टोकन अब वहां भी मलने लगे ह , चलो ...
बड़ा तालाब, मर माग, रेवाड़ी (हरयाणा) योगेश कौΥशक कतनी खूबसूरत है यह सपन-सी दुनया। हंसना सदा तुम कहती है कल-कल करती नदया।। कभी न कर ...
मला टोला वायरलेस गली कटहार 854105 (बहार) संजय कु मार डोकाθनया म नाण हो गई।। ातः वंदनीय धरा ,भूधरा, वसुंधरा , मां भुनेरी सादर नमन ...
मधु ȁी आनंद के वल श मा या स वो जो है चरंतन सुख व दुख से जो इतर शव त से एकाकार मन चर ाई स शात सत से चत तक का मलन । लौ उठे अंतस शख ...
धार म देश पूजा दोबारा बे हम बन जाए..... बचपन क है कु छ बात नराली, ब- से बे हम बन जाए, अपन के दल म बस जाए. च - से चहल-पहल मचाए , ...
उरपाड़ा पम बंगाल Ϗǹया पांडेय रोशनी आई थी दुन बन घर म, नये अरमान लए दल म, चार तरफ सुख क घड़ी थी, क अचानक चार घर म साटा छा गया, पत थ ...
हैदराबाद डॉ संगीता शमाǢ ज मृु पानी सी तैरती ज़दगी के कनारे दो कभी खुशी कभी गम तो कभी सुकू न कभी उीद क कहानी है जो कभी जोजहद है ज़द ...
पटना Υशरीष पाठक अजीब सी कशमकश से घर जाता ँ म सोचता ँ जब हमारे बारे म लखना चाहता ँ वो पल जो हम जी लेते है साथ और वो भी जो हम अर छ ...
सतारगंज θनशांत गहतोड़ी फटे व ह खुले के श या सभी नैन श ह खो बैठे सब रथी महारथी ह बैठे फर ु उपव समझ बैठे? पी लए अ समझ जल को जब हार ...
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